महिलाओं से छेड़छाड़ या दुष्कर्म के आरोपियों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी, छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला

किसी उम्मीदवार के खिलाफ न्यायालय में छेड़छाड़ या दुष्कर्म के मामले लंबित हुए तो उसकी नियुक्ति का मामला भी आपराधिक मामले का अंतिम फैसला होने तक लंबित रखा जाएगा.

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रायपुर:

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में बालिकाओं और महिलाओं से छेड़छाड़ तथा दुष्कर्म के आरोपियों को सरकारी नौकरी नहीं देने का फैसला किया है. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को आदेश जारी कर दिया है. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है. बालिकाओं और महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म आदि के आरोपियों को अब सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. 

इस संबंध में राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को आदेश जारी किया.

मुख्यमंत्री बघेल ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में बालिकाओं और महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म आदि के आरोपियों को शासकीय नौकरी से प्रतिबंधित करने की घोषणा की थी.

अधिकारियों ने बताया कि सामान्य प्रशासन ने सभी विभागों, राजस्व मंडल के अध्यक्षों, विभागाध्यक्षों, संभागायुक्तों, कलेक्टरों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं. 

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नोटिस में क्या कहा गया?
निर्देश में कहा गया है कि शासकीय सेवा में नियुक्ति के लिए ऐसे अभ्यर्थी जिनके विरुद्ध बालिकाओं और महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म आदि से संबंधित अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 354, 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ, 509, 493, 496, 498 तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के अंतर्गत मामले दर्ज हों, उन्हें शासकीय सेवाओं और पदों पर नियुक्ति के लिए मामले में अंतिम निर्णय तक प्रतिबंधित किया जाए.

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फैसला आने तक लंबित रहेगी नियुक्ति
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने निर्देश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है. अधिकारियों ने बताया कि जारी निर्देश में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्तें) नियम, 1961 के नियम 6 के उप-नियम (4) में प्रावधान है कि कोई भी उम्मीदवार जिसे महिलाओं के विरुद्ध किसी अपराध का दोषी ठहराया गया हो, किसी सेवा या पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा. लेकिन किसी उम्मीदवार के विरुद्ध न्यायालय में ऐसे मामले लंबित हों तो उसकी नियुक्ति का मामला आपराधिक मामले का अंतिम फैसला होने तक लंबित रखा जाएगा.

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उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने महिलाओं से संबंधित अपराधों की रोकथाम के लिए प्रशासनिक, व्यावहारिक और विधिक कई स्तरों पर तत्परता से काम किया है. राज्य के 547 थानों, चौकियों में महिला प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है, ताकि पीड़ित महिलाएं निःसंकोच अपनी रिपोर्ट दर्ज करा सकें.