औषधि वाटिका में लगा ताला, ग्रामीणों ने किए सवाल, जानिए वन विभाग का क्या है जवाब

Forest Department: स्थानीय ग्रामीणों ने अब प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय से इस वाटिका की शुरुआत करने की मांग की है. अब देखने वाली बात होगी कि यह वाटिका कब तक शुरु हो पाती है.

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Chhattisgarh Forest Department: जशपुर (Jashpur) जिले के कांसाबेल विकासखंड़ में जिला प्रसाशन एवं वन विभाग ने कई एकड़ में औषधि वाटिका (Medicinal Garden) का निर्माण कर वन विभाग ने करोड़ों रुपये फूंक दिए. अधिकारियों की उदासीनता के चलते वाटिका का रख-रखाव नहीं होने से महज चार से पांच साल में ही वाटिका उजड़ गयी. वाटिका में लगे पौधे एक-एक कर सूखने लगे हैं. वाटिका की देखरेख करने के बजाय अधिकारियों ने वहां ताला लगा दिया है. जिससे अब यह वाटिका शराबियों का अड्डा बन गया है. जशपुर वन मंडल में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि वाटिका की पीडी मद से निर्माण किया गया था. देखभाल करने के लिए शासन ने पिछले दो साल से बजट स्वीकृत नहीं किया है, इसलिए यहां ताला लगा हुआ है.

क्या है मामला?

वर्ष 2021 में शासन ने कई एकड़ जमीन में वन विभाग व शासन का मकसद था कि खूबसूरत बगीचा तैयार किया जाए, जिससे क्षेत्र के आसपास के लोग यहां आकर घूम सकें. शासन ने वाटिका को खूबसूरत बनाने के लिए करोड़ों रुपये की स्वीकृति प्रदान की थी. इस औषधि वाटिका में कई प्रजातियों पेड़-पौधे लगाए गए थे, जैसे आंवला, बहेड़ा, हर्र, नीम, बेल, बालम खीरा, पीपल के औषधीय पौधे रोपे गए. पौधों के संरक्षण का इंतजाम भी किया गया था. औषधि वाटिका में रोपे गए पौधों की देखरेख के लिए एक चौकीदार तैनात किया गया था. औषधि वाटिका के चारों ओर जाली के कटीले तार लगवाए गए. ताकि पौधों को जानवरों से बचाया जाए. वन विभाग ने यहां पर पौधारोपण के साथ-साथ तालाब का निर्माण कराया था, जिससे भूजल की स्थिति सामान्य रहे. इसके साथ ही आने वाले पर्यटकों के लिए विभाग ने झूला, फिसल पट्टी आदि का निर्माण काराया गया था, जिससे पर्यटकों के साथ आने वाले बच्चे खेल सकें, लेकिन झूला टूट चुका है. झूले के पास बड़े बड़े कटीले घास उग आई है. सालों से यहां साफ-सफाई नहीं हुई है.

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लोगों का क्या कहना?

वन विभाग ने पर्यटकों के लिए तकरीबन लाखों रुपये खर्च करके पाथवे का निर्माण किया था. देखरेख के अभाव में पाथवे जगह-जगह पर धंसने तथा टूटने लगा है. वाटिका में आने वाले पर्यटकों के लिए जगह-जगह बैठने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन देखरेख न होने की वजह से सब टूट चुके हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी वर्षों से वहां निरीक्षण करने नहीं गए हैं. इस कारण ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है. वहीं पिछले दो साल से बजट न आने की बात कहकर मरम्मत कार्य नहीं किया जा रहा है. मरम्मत न होने से वाटिका बंद कर दी गई है.

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अधिकारियों का क्या कहना है?

जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि बजट के लिए समय-समय पर उच्चाधिकारियों को संज्ञान में लाया जा रहा है, लेकिन शासन ही रखरखाव के लिए पैसे पास नहीं कर रहा है.

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