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Nisha hoisted tricolor on Africa Kilimanjaro Mountain : कठिनाइयां चाहे जितनी भी आएं, हौसले बुलंद हों, तो हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की पर्वतारोही निशा यादव ने. सीमित संसाधनों और आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपने साहस और संकल्प से अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो, जिसकी ऊंचाई 5895 मीटर है. वहां, कई कठिनाइयों को पार कर देश का तिरंगा लहराया. निशा के इस सफर में चुनौतियां कम नहीं थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. लगातार 11 घंटे की बारिश का सामना करते हुए 4 फरवरी को शिखर तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की.अब, जब अपने शहर लौटी तो गर्मजोशी से लोगों ने निशा का स्वागत किया.
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पर्वतारोहण में दिलचस्पी के चलते अरुणाचल प्रदेश में एक माह का विशेष प्रशिक्षण लिया. उनकी पर्वतारोहण यात्रा नैनीताल की नैना पीक (8,522 फीट) से शुरू हुई, फिर उन्होंने केदारकंठा (12,500 फीट), गौरलाटा (2,952 फीट), गोरीचेन (21,286 फीट) और यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस (18,510 फीट) को भी फतह किया.
छत्तीसगढ़ सरकार ने की आर्थिक मदद
महाद्वीपों की ऊंची चोटियों को छूने के अपने लक्ष्य को पूरा करने में निशा को आर्थिक सहयोग की आवश्यकता थी. एनटीपीसी सीपत ने माउंट एलब्रुस की चढ़ाई में उनकी मदद की, जबकि अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत अभियान के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 3.45 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की.
'निशा की सफलता युवाओं के लिए प्रेरणा'
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने निशा की इस उपलब्धि को पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात बताते हुए कहा कि उनका संघर्ष और आत्मविश्वास युवाओं के लिए प्रेरणादायक है. निशा ने भी सरकार का आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया और तिरंगे के साथ एक विशेष फ्लैग भेंट किया. खास बात ये है कि निशा ने सीएम साय के नाम से भी एक झंडा यहां फहराया है. तस्वीर में किलिमंजारो की ऊंची चोटी पर हाथ में झंडा लहराते हुए निशा दिख रही हैं.
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अब इन ऊंची चोटियों पर चढ़ाई करने का है प्लान
निशा का सपना सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करना है. अफ्रीका और यूरोप के शिखरों को पार करने के बाद, अब उनका अगला लक्ष्य एशिया,अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका की ऊंची चोटियों पर चढ़ाई करना है. निशा की यह कहानी बताती है कि यदि जुनून और मेहनत हो तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है.
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