छत्तीसगढ़ के हजारों छात्र 10-12वीं की नहीं दे सकेंगे परीक्षा ? किस सरकारी आदेश से पैदा हुआ संकट

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के नए फरमान से छात्र और स्कूल प्रभारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. शिक्षा मंडल ने कहा है कि अभी तक जिन छात्रों का एनरोलमेंट नहीं हुआ है उनके एनरोलमेंट के लिए स्कूलों को 25 हजार रुपये लेट फीस देनी होगी. अब सवाल ये है कि क्या वाकई सरकारी स्कूल ये लेट फीस जमा करने की स्थिति में हैं और यदि इसकी वजह से छात्रों का एनरोलमेंट नहीं होगा तो क्या उनका एक साल बर्बाद होगा ?

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CG 10-12th Students news: छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के एक आदेश से हजारों छात्रों का एक साल खराब हो सकता है. दरअसल माध्यमिक शिक्षा मंडल (Board of Secondary Education) यानी माशिमं ने फरमान जारी किया है कि जिन स्कूलों ने 10वीं-12वीं की परीक्षा के लिए छात्रों का एनरोलमेंट नहीं कराया है वे अब 25 हजार रुपये लेट फीस के साथ ही एनरोलमेंट (Enrollment) करा सकेंगे. बता दें कि माशिमं का पोर्टल 31 अगस्त तक खुला था लेकिन अब भी राज्य के 1247 स्कूल ऐसे हैं जिनके कुछ छात्रों का एनरोलमेंट नहीं हुआ है. इसी को देखते हुए माशिमं ने फिर से पोर्टल खोलने का फैसला लिया है. लेकिन उसने शर्त लगा दी है कि  स्कूल को 1 सितंबर से 25 सितंबर तक हर दिन के हिसाब से 1 हजार रुपये लेट फीस जमा करनी होगी .
हालांकि माशिमं ने भी कहा है कि स्कूलों को इसके साथ शपथ पत्र भी देना होगा कि वो ये लेट फीस छात्रों से नहीं लेंगे. अब इससे कई सवाल पैदा होते हैं...राज्य में अधिकांश सरकारी स्कूल बेहद कम फीस पर शिक्षण कार्य करते हैं. क्या वे ये लेट फीस देंगे? यदि 1247 स्कूलों में एक छात्र भी एनरोलमेंट से छूटा तो ये संख्या हजारों में हो सकती है.  

दरअसल एनरोलमेंट की प्रक्रिया खत्म होने के बाद शिक्षा विभाग को जानकारी मिली कि कई ऐसे छात्र हैं जिनका अभी भी एनरोलमेंट नहीं हो पाया है. इसके बाद  पूरे प्रदेश से छूटे हुए छात्रों की सूची मंगाई गई. इसके बाद सरकारी और निजी स्कूलों ने अपनी जानकारी भेजी. इससे सामने आया कि ऐसे 1247 स्कूल हैं जहां कोई न कोई छात्र एनरोलमेंट के लिए छूट गया है. जिसके बाद माशिमं ने नया आदेश जारी किया जिसे कई जानकार फरमान बता रहे हैं. 

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माध्यमिक शिक्षा मंडल का निर्णय और अव्यवहारिक - विवेक दुबे

सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे का कहना है कि जिन स्कूलों की एंट्री होनी है वह शासकीय स्कूल या अनुदान प्राप्त स्कूल हैं. वहां के संस्थापक आखिर इतनी राशि कहां से लाकर देंगे? उन्होंने पूछा कि जिस प्रदेश में व्यापम का एग्जाम नि:शुल्क होता है वहां माध्यमिक शिक्षा मंडल इतनी तगड़ी लेट फीस वसूलने की सोच रहा है? विवेक दुबे के मुताबिक ये स्थिति हास्यास्पद है. माध्यमिक शिक्षा मंडल सरकारी संस्थाओं से इस तरीके से राशि वसूलने का तरीका अपना रहा है जो की पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा कि हम शासन से मांग करने जा रहे हैं कि वो ये लेट शुल्क माफ करे. 

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नियम के तहत ही आदेश जारी किए: माशिमं

माशिमं के पोर्टल खोलने के लिए लेट फीस मामले में ndtv से बात करते हुए  माशिमं की सचिव पुष्पा साहू ने कहा ये निर्णय पूर्व से चला आ रहा है. ये फीस संस्था को देनी है क्योंकि 18 जून से 31 अगस्त तक छात्र का एनरोलमेंट ना करना संस्था की गलती है. 18 जून से 31 अगस्त लगभग ढाई महीने का समय होता है फिर भी वे कैसे चूक सकते हैं. बहुत से स्कूल ये एंट्री कर चुके हैं लेकिन कुछ स्कूल अब भी बचे हैं. ये आदेश नया नहीं है. अगर पोर्टल एक बार बंद हो जाता है तो उसे खोलने का भी नियम है. इसके मुताबिक हर दिन के हिसाब से 1000 रुपये लेट फीस ली जानी है.पुष्पा साहू ने जोर देकर कहा कि हम नियमों के हिसाब से काम कर रहे हैं.  

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