CG Vidhan Sabha: भूपेश बघेल ने सदन में उठाए PM Awas Yojana पर सवाल, कहा-18 लाख घरों में शहरी आवास शामिल है या नहीं?

Bhupesh Baghel: सदन की कार्यवाही के दौरान मंगलवार को विपक्ष हमलावर नजर आया. भूपेश बघेल ने सरकार से सवाल करते हुए पीएम आवास योजना को लेकर हिसाब मांगा.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
भूपेश बघेल और अरुण साव (File Photo)

PM Awas Yojana: छत्तीसगढ़ विधानसभा (Chhattisgarh Vidhan Sabha) के मानसून सत्र में मंगलवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का मामला उठा... पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के सवाल के जवाब में अरुण साव (Arun Sao) ने कहा कि पिछली सरकार में 19906 आवास बनाने का डीपीआर केंद्र को भेजा गया है. जनवरी 2024 से लेकर जून 2024 तक नई आवास बनाने की स्वीकृति केंद्र से नहीं मिली है. इस मामले को लेकर भूपेश बघेल ने सत्ता पक्ष पर निशाना भी साधा. 

भूपेश बघेल ने पूछा सीधा सवाल

सदन में उस वक्त चर्चा का माहौल बना, जब भूपेश बघेल ने पूछा कि क्या जो विज्ञापन शहरों में 18 लाख आवास बनाने के लगाए गए हैं, उसमें नगरीय निकाय क्षेत्र के आवास शामिल हैं. इसके जवाब में जब विस्तृत जानकारी मंत्री अरुण साव ने देना चाहा तो बघेल ने उन्हें रोकते हुए कहा कि मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि इसमें नगरीय निकाय क्षेत्र की आवास शामिल है या नहीं. इसके जवाब में इंसानों ने कहा कि हां इसमें नगरीय निकाय क्षेत्र के आवास भी शामिल हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें :- Chhattisgarh: बिना निविदा तीन करोड़ से अधिक की खरीदी! विपक्ष के दबाव में खेल मंत्री का बड़ा बयान

Advertisement

पिछले आठ महीनों में एक भी आवास बनाने का प्रस्ताव नहीं भेजा गया-बघेल

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सदन में सवाल खड़ा करते हुए कहा कि पिछले आठ महीनों में एक भी आवास बनाने का प्रस्ताव नहीं भेजा गया है. इसको लेकर अरुण साव ने कहा कि आवास बनाने का मापदंड है कि कितने मकान स्वीकृत है. भेजे गये प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद नये प्रस्ताव भेजे जाएंगे. भूपेश बघेल ने कहा कि कच्चे मकान का पट्टा देना राज्य सरकार के हाथ में हैं. कच्चे मकान को पक्का करने का डीपीआर बनाकर केंद्र को स्वीकृत के लिए भेजा जाता है. इसको लेकर अरुण साव ने कहा कि पट्टा वाले मकान को लेकर सरकार विचार कर रही है.

Advertisement

ये भी पढ़ें :- PM Awas Yojana के लाभार्थियों संग हुआ बड़ा Fraud, भोले-भाले आदिवासियों के खाते से ऐसे उड़ा दिए लाखों रुपये

Topics mentioned in this article