Chhattisgarh Swadeshi Mela: स्वदेशी मेला में 65 प्रकार के देशी अचार, बस्तर को रोजगार मिलने और पलायन रुकने की दरकार 

Swadeshi Mela: जगदलपुर के लालबाग मैदान में आयोजित स्वदेशी मेला में कोंडागांव से हितेश गांधी अचार का विशेष संकलन लेकर पहुंचे हैं. हितेश गांधी के स्टॉल पर 65 प्रकार का अचार है. इसमें अमुड़ी जो विशेष तौर पर बस्तर में ही मिलती है का अचार काफी पसंद किया जा रहा है.

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Chhattisgarh Swadeshi Mela: छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध बस्तर दशहरा की परंपराओं और संस्कृतियों के साथ ही जगदलपुर में इस साल लगा स्वदेशी मेला भी चर्चा का विषय बना हुआ है. 4 अक्टूबर को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह स्वदेशी मेला में शामिल होने पहुंचेगे. स्वदेशी मेला में देशभर के अलग-अलग राज्यों से कारीगर अपनी वस्तुओं को लेकर पहुंचे हैं. इस मेल में बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों के भी स्टाल लगाए गए हैं.

जगदलपुर के लालबाग मैदान में स्वदेशी मेला आयोजित

जगदलपुर के लालबाग मैदान में आयोजित स्वदेशी मेला में कोंडागांव से हितेश गांधी अचार का विशेष संकलन लेकर पहुंचे हैं. हितेश गांधी के स्टॉल पर 65 प्रकार का अचार है. इसमें अमुड़ी जो विशेष तौर पर बस्तर में ही मिलती है का अचार काफी पसंद किया जा रहा है.

कोंडागांव स्टॉल पर 65 प्रकार का अचार

हितेश बताते हैं कि उनके स्टॉल पर 150 रुपये से 500 रुपये प्रति किलो की दर का घर में बना देसी तरीके का अचार उपलब्ध है. हितेश का कहना है कि इस तरह के आयोजन से स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा मिलता है.

कच्चे धागे का नारियल तेल बना चर्चा का विषय

घोर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के स्टॉल पर बिक रहा कच्चे धागे का नारियल का तेल चर्चा का विषय है. नारायणपुर जिले के स्टाल में बांस से बना मछली पकड़ने का औजार लोगों को खूब पसंद आ रहा है. नारायणपुर की सियाबति कहती हैं कि मछली पकड़ने के औजार के अलावा लालटेन व अन्य वस्तुएं भी खुद बनाई गई हैं. इसके अलावा टिकूर भी विशेष प्रक्रिया कर तैयार किया गया है.

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बस्तर को रोजगार मिलने की दरकार

दंतेवाड़ा की स्टाल में पापड़ व अन्य प्रोडक्ट बेच रहीं वंदना लोधी बस्तर में स्कूलों की स्थिति को लेकर चिंता में हैं. एनडीटीवी से बातचीत में वंदना कहती हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे से काफी उम्मीदें हैं. स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा मिलने के साथ ही हमें इस बात की भी उम्मीद है कि बस्तर में स्कूलों की स्थिति बेहतर होगी. इसके अलावा बस्तर में ही रोजगार के साधन महिया कराए जाएंगे. ताकि वर्तमान में पलायन के कारण बस्तर में जो समस्याएं हो रही हैं वो नहीं होंगी.

वंदना दंतेवाड़ा के भांसी, कुटरेम समेत उन गांव का भी जिक्र करती हैं, जहां से पलायन कर हैदराबाद की स्टोन क्रेशर फैक्ट्री में गए ग्रामीण आदिवासी गंभीर बीमारी लेकर लौटे थे और उनमें से कुछ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले को एनडीटीवी ने प्रमुखता से उठाया था.

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वंदना कहती हैं कि बस्तर में जब तक रोजगार की व्यवस्था अच्छे तरीके से नहीं होती तब तक इस तरह की समस्याएं बनी रहेगी इसलिए सरकार को रोजगार देने और पलायन रोकने पर विशेष फोकस करना होगा. 

बीजापुर के स्टॉल पर रीता यादव पास की लकड़ी के कवर पेज से बनी डायरी लेकर खड़ी हैं. रीता कहती हैं कि बस्तर में इस तरह की कलाओं की भरमार है, इसे एक बेहतर मंच मिल जाने से विश्व प्रसिद्ध मिल सकती है. सरकार को इस पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए.

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