CG High court: छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त, DKS-अंबेडकर अस्पताल से मांगा जवाब

CG High court: रायपुर के डीकेएस और अंबेडकर अस्पताल में मरीजों के परिजन खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं, जबकि यूटिलिटी एरिया वर्षों से बंद पड़ा है. इस पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए दोनों अस्पतालों के अधीक्षकों से जवाब तलब किया है.

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Chhattisgarh High court strict on Government Hospitals: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) के डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल और अंबेडकर अस्पताल (Dr B.R. Ambedkar Memorial Hospital) में मरीजों के साथ आए तीमारदारों को भारी अव्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल परिसर में परिजनों के ठहरने के समुचित इंतजाम नहीं हैं, जिसके चलते वे खुले आसमान के नीचे, पार्किंग एरिया, बरामदे और खाली स्थानों में बिना किसी पंखे या कूलर के समय बिताने को मजबूर हैं. यह स्थिति हाल ही में 19 मई 2025 को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट में उजागर हुई थी.

अस्पताल के यूटिलिटी एरिया कई वर्षों से बंद हैं

खबर में यह भी बताया गया कि दोनों अस्पतालों के यूटिलिटी एरिया कई वर्षों से बंद हैं, जिससे स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने इसका स्वत: संज्ञान लिया है. कोर्ट ने दोनों अस्पतालों के अधीक्षकों से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब मांगा है कि इस दिशा में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं.

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जवाब में डीकेएस अस्पताल के अधीक्षक ने क्या कहा

डीकेएस अस्पताल के अधीक्षक ने जवाब में बताया कि अस्पताल की ऊपरी मंजिल पर तीमारदारों के लिए एक हॉल की व्यवस्था की गई है, साथ ही एक नया शेड बनाने की योजना भी बनाई जा रही है. वहीं अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक ने कहा कि तीमारदारों और केयरटेकर के लिए आवासीय व्यवस्था को लेकर बैठकें आयोजित की गई हैं.

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राज्य के महाधिवक्ता ने कोर्ट को जानकारी दी कि अस्पतालों में मरीज के दो परिजनों के ठहरने की अनुमति है- एक अंदर और एक बाहर. चौथी मंजिल पर दो शेड और एक कमरा उपलब्ध है, हालांकि तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि बाहर ठहरे लोग एक ही मरीज से संबंधित हैं या नहीं.

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कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि परिजनों को केवल तय मानकों के अनुसार ही अस्पताल परिसर में ठहरने की अनुमति दी जाए, ताकि अन्य मरीजों और तीमारदारों को कोई असुविधा न हो. इस मामले में अगली सुनवाई जुलाई में होगी और तब तक दोनों अधीक्षक शपथ पत्र के माध्यम से की गई कार्रवाई की जानकारी देंगे.

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