BJP Lok Sabha Candidate List: कांग्रेस से बीजेपी में आए चिंतामणि को मिला सरगुजा लोकसभा से टिकट

चिंतामणि महाराज का जन्म बलरामपुर जिले के श्रीकोट गांव में 26 जनवरी 1968 मे हुआ था. उनके पिता का नाम रामेश्वर है. जो बाद में आगे चलकर संत गहिरा गुरु बने. इनके बार में खास बात यह है कि उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शुरू से आखिरी तक संस्कृत में ही पूरी की है

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चिंतामणि महाराज 2004 से 2008 तक राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष रहें थे

Chhattisgarh News: भाजपा (BJP) ने अपनी लोकसभा प्रत्याशियों (loksabha Candidate) की पहली लिस्ट जारी कर दी है. बीजेपी ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा से चिंतामणि महाराज को अपना उम्मीदवार बनाया है. चिंतामणि के सरगुजा लोकसभा प्रत्याशी घोषित होने के बाद से अंबिकापुर निवास में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जमकर खुशी मनाई. इस दौरान चिंतामणि को बधाई देने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.

चिंतामणि महाराज विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी छोड़ कर भाजपा में आए थे. माना जा रहा है कि भाजपा में प्रवेश करने से पहले चिंतामणि महाराज ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से लोकसभा का टिकट लेने का वादा लिया था. जिसके बाद से ही इनके लोकसभा उम्मीदवार बनने की चर्चा चल रही थी और शनिवार को भाजपा केंद्रीय समिति ने सरगुजा लोकसभा से इन्हें टिकट दे दिया. 

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संस्कृत के प्रचंड विद्वान हैं चिंतामणि 

चिंतामणि महाराज का जन्म बलरामपुर जिले के श्रीकोट गांव में 26 जनवरी 1968 मे हुआ था. उनके पिता का नाम रामेश्वर है. जो बाद में आगे चलकर संत गहिरा गुरु बने. इनके बार में खास बात यह है कि उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शुरू से आखिरी तक संस्कृत में ही पूरी की है. चिंतामणि महाराज का विवाह 26 मई 1992 को रविकला सिंह के साथ हुआ

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उनके 2 पुत्र व तीन पुत्री है. कृषि उनका मुख्य पेशा है और उनका अपना स्थायी निवास गहिरा गुरु आश्रम, श्रीकोट सामरी व अम्बिकापुर के भाथुपारा में  है.चिंतामणि महाराज खुद तो खेती करते ही है, साथ ही युवाओं को खेती के लिए प्रेरणा देते हैं. उनका मानना है कि खेती देश का परंपरागत व्यवसाय है  80 प्रतिशत लोगों की आजीविका पहले खेती से चलती थी. अब भी युवा खेती से जुड़ कर बेरोजगारी दूर करने के साथ ही अच्छी आय अर्जित कर सकतें है और देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे सकते हैं. खेती के अलावा गौपालन गौसेवा करना भी चिंतामणि महाराज को पसंद है.

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कांग्रेस और बीजेपी दोनों में रहा है राजनीतिक सफर

चिंतामणि महाराज 2004 से 2008 तक राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष रहें थे. फिर उन्होंने 2008 में बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. फिर 2013 में वे सामरी विधानसभा से ही चुनाव मैदान में कूदे पर अंतर सिर्फ इतना था कि वे इस बार निर्दलीय चुनाव न लड़ कर कांग्रेस की टिकट पर खड़े हुए थे और चुनावी मैदान फतह कर पहली बार विधायक बने. जिसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर से उन पर भरोसा जताया और एक बार फिर वे सामरी विधानसभा से चुनावी मैदान में कूद पड़े.

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इस बार उन्होंने भाजपा के अपने करीबी प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को शिकस्त दी. चिंतामणि महाराज को कुल 80,620 वोट मिले तो वहीं उनके करीबी प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को 58697 वोट मिले.

भाजपा ने वादा निभाया और दिया टिकट

2023 विधानसभा में कांग्रेस ने चिंतामणि महाराज को विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया. जिससे नाराज होकर वह एक बार फिर उन्होंने छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी ओम माथुर की उपस्थिति में बीजेपी का दामन थामा. तब मंच से ही ओम माथुर ने कहा था कि मैं इन्हें मोदी जी के साथ बैठाऊंगा. शनिवार को ओम माथुर की कही बात सही भी साबित हो गई.

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