Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में रेलवे डिपो निर्माण के दौरान बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने पर्यावरणीय सुरक्षा को लेकर रेलवे की लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की. साथ ही भविष्य में पेड़ों की कटाई को लेकर अधिक सावधानी बरतने की हिदायत दी. यह मामला तब शुरू हुआ जब मीडिया रिपोर्ट्स में यह आरोप लगाया गया कि बिलासपुर रेलवे डिपो के निर्माण कार्य के लिए हरे-भरे पेड़ों को वन विभाग की अनुमति के बिना काटा गया.
पेड़ों की कटाई में बरतें सावधानी
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने अदालत को बताया कि रेलवे ने पेड़ों की कटाई के लिए जरूरी प्रक्रिया का पालन किया था. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ नेहा बंशोड की रिपोर्ट और वन विभाग से संबंधित आवेदन समय पर प्रस्तुत किए गए थे.
रेलवे से कोर्ट के सामने क्या कहा?
रेलवे का पक्ष रखने के दौरान यह भी बताया गया कि पेड़ कटाई से पहले अनुमति लेने की प्रक्रिया का पालन किया गया, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से पेड़ों की कटाई और विस्थापन में विलंब हुआ. वन विभाग के हलफनामे में जानकारी दी गई कि 242 पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति मांगी गई थी, जिनमें से 116 पेड़ों को काटा गया, 54 को विस्थापित किया गया, और 72 पेड़ अभी भी वहीं मौजूद हैं.
रेलवे की लापरवाही पर कोर्ट की फटकार
कोर्ट ने पर्यावरणीय सुरक्षा को लेकर रेलवे की लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की और भविष्य में पेड़ों की कटाई के मामलों में अधिक सावधानी बरतने और जनहित को प्राथमिकता देने की हिदायत दी. इसके साथ ही अदालत ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया.
रेलवे डिपो का निर्माण वंदे भारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए किया जा रहा है. यह कार्य क्षेत्र में आधुनिक रेल सुविधाएं विकसित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है. हालांकि पर्यावरण संरक्षण को लेकर उठे सवालों के बाद अदालत ने इस पर गंभीरता से विचार किया और रेलवे को आवश्यक निर्देश दिए.
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