Lion Bhima died in Kanan Pendari Zoo: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के कानन पेंडारी चिड़ियाघर में शेर भीम की मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि वह किडनी की बीमारी से ग्रसित था. इसकी मौत के बाद वन्यजीव संरक्षण और चिड़ियाघरों में चिकित्सा सुविधाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
15 दिनों से चल रहा था इलाज
किडनी की बीमारी से जूझ रहे भीम का 17 फरवरी 2025 से इलाज चल रहा था, लेकिन 4 मार्च को उसने अंतिम सांस ली.गिर नेशनल पार्क,गुजरात के वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. आर.एफ.काडीवार के मार्गदर्शन में उसका उपचार किया जा रहा था,फिर भी उसे बचाया नहीं जा सका. कानन पेंडारी के प्रभारी शिव कुमार नाग ने बताया कि शेर भीम की मौत किडना की बीमारी से ग्रसित होने के कारण हुई है.
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लापरवाही या संसाधनों की कमी?
शेर भीम की मौत के बाद वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं.वन्यजीवों के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाओं का अभाव एक बार फिर उजागर हुआ है.विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में इलाज चलने के बावजूद अगर कोई वन्यजीव बचाया नहीं जा सका,तो यह प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है.
सुविधाओं की कमीं
कई पर्यावरणविदों का मानना है कि चिड़ियाघरों में पशु चिकित्सा विशेषज्ञों और जरूरी संसाधनों की भारी कमी है.वन्यजीवों को नियमित जांच और बेहतर उपचार की आवश्यकता होती है,लेकिन अक्सर देखभाल में कोताही बरती जाती है. शेर भीम के मामले में भी यही हुआ. अगर पहले से ही प्रभावी कदम उठाए जाते, तो शायद उसकी जान बच सकती थी.
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वन्यजीव संरक्षण के लिए ठोस कदम जरूरी
इस घटना के बाद वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों ने सरकार से चिड़ियाघरों में चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करने की मांग की है.वन्यजीव केवल चिड़ियाघरों की शोभा बढ़ाने के लिए नहीं होते, बल्कि वे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.सरकार और वन विभाग को चाहिए कि वे केवल कागजी योजनाओं तक सीमित न रहें,बल्कि वास्तविकता में वन्यजीवों के संरक्षण और स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता दें.अगर समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए,तो भविष्य में ऐसी घटनाएं बढ़ सकती हैं.