Naxalite In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में चले आ रहे खूनी संघर्ष की वजह से निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं. बीजापुर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की क्रॉस फायरिंग में फंसी एक दुधमुंही बच्ची की मौत का दर्द अभी कम नहीं हुआ कि उसी घर में एक दूसरी मौत हो गई. ग्रामीण की मौत कोई सामान्य नहीं बल्कि नक्सलियों की लगाई IED की चपेट में आकर हुई है. ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि आखिर कब तक इस लड़ाई में बेकसूर लोग मारे जाएंगे? इस गांव में NDTV की टीम पहुंची तो वाकई दिल को झकझोर करने वाला मंजर था.
ग्रामीणों में खौफ
बीजापुर जिले के गंगालूर थानाक्षेत्र के मुदवेंडी गांव में दो दिन पहले IED की चपेट में आकर एक ग्रामीण गड़िया कुंजाम की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद NDTV की टीम भी दुर्गम जंगलों, आईईडी के खतरों को पार कर पहुंची तो पूरा सन्नाटा पसरा हुआ था. अभी महुआ का सीजन चल रहा है, इसके बावजूद भी खौफ में आये ग्रामीण महुआ बीनने के लिए नहीं निकले थे. हमारी टीम गड़िया कुंजाम के घर पर पहुंची. यहां परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. ग्रामीणों ने बताया कि इसी घर से 3 महीनें पहले एक मासूम बच्ची की अर्थी उठी थी. उसकी मौत भी गोली लगने की वजह से हुई थी और अब फिर से इसी घर से दूसरी मौत हुई है. ये घटना वाकई मन को विचलित करने वाली थी.
पहले तो जानिए पूरी घटना
घटना के चश्मदीदों ने बताया कि 20 अप्रैल की दोपहर को तेंदूपत्ता की गड्डी बांधने के लिए रस्सी की तलाश में 10 से 12 ग्रामीण गांव से 500 मीटर की दूरी पर स्थित पहाड़ की तरफ गए हुए थे. इसी दौरान धमाके की जोरदार आवाज सुनाई दी. विस्फोट की आवाज सुनकर डरे सहमे सभी ग्रामीण दौड़े दौड़े अपने घर की तरफ लौट आए. दूसरे दिन यानी की 21 अप्रैल की सुबह ग्रामीणों ने देखा की गड़िया कुंजाम अपने घर पर नहीं हैं. ऐसे में सुबह गड़िया को तलाशने सभी ग्रामीण पहाड़ की ओर निकले. जहां गड़िया अधमरी हालत में खून से लथपथ मिला. ग्रामीणों ने मदद के लिए गंगालूर फोन किया. मदद पहुंच पाती इससे पहले ही अत्यधिक रक्तस्राव होने की वजह से गड़िया की दर्दनाक मौत हो गई.
FIR कराने तैयार नहीं परिजन
बता दें कि इस गांव में साढ़े तीन महीनें पहले सीआरपीएफ का कैम्प खुला है. इसके बाद भी ग्रामीण यहां सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. ग्रामीणों में खौफ इतना ज्यादा है कि एफआईआर तक कराने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. बताया जा रहा है कि पुलिस विभाग की टीम ग्रामीण के घर भी पहुंची थी. एफआईआर दर्ज कराने लिए परिजनों को मनाने की भी कोशिश की थी. लेकिन नक्सलियों के खौफ कारण व एफआईआर कराने के लिए भी तैयार नहीं हुए.
इन आकंड़ों को देख चौंक जाएंगे आप
NDTV ने नक्सल हिंसा में मारे गए सिविलियन्स के आंकड़े जुटाए. जो वाकई चौंकाने वाले हैं. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 23 सालों में 1775 बेकसूर लोग नक्सल हिंसा में मारे गए हैं. इनमें से कईयों की पुलिस की मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने हत्या की है , तो कोई नक्सलियों की लगाई आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आकर मौत का शिकार हुआ है.
ये भी पढ़ें NDTV एमपी-छत्तीसगढ़ के 'हूटर हटाओ' अभियान की CM ने की सराहना, कहा-जो हूटर बजाएगा उस पर होगी कार्रवाई
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दो-तीन सालों के अंदर छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को खत्म करने का दावा किया हैं. छत्तीसगढ़ की विष्णु साय सरकार भी नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक हुई है. बस्तर में नक्सलियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई भी हो रही है. लेकिन इस बीच नक्सलियों की कायराना करतूत बेकसूरों की जिंदगियां ले रही हैं. बस अब भी सभी के ज़हन में सवाल यही है कि आखिर कब तक खूनी संघर्ष पर विराम लगेगा ?
ये भी पढ़ें जेपी नड्डा, अमित शाह के बाद PM मोदी का भी छत्तीसगढ़ में कैंप..आखिर छोटे राज्य पर बड़ा फोकस क्यों?