एक तरफ 'लाल पानी' ने छीन ली किसानी, तो दूसरी तरफ पेलेट प्लांट में नहीं मिली स्थाई नौकरी... कैसे होगा जीवन बसर

BSP Red Water in Farms: एक प्लांट ने गांव के लोगों के किसानी के काम को प्रभावित कर रखा है. तो दूसरी तरफ, एक प्लांट गांव के लोगों को उनके काम करने के लिए गेट पास ही जारी नहीं कर रहा है. ऐसे में लोगों की परेशानी बढ़ गई है. 

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Balod News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बालोद जिले के डौंडी ब्लॉक अंतर्गत कई ऐसे गांव हैं, जो भिलाई स्टील प्लांट (BSP) से निकलने वाले लाल पानी (Red Water) से परेशान है. इन गांवों के लोगो का मूल काम खेती था. लेकिन, बीएसपी के लाल पानी खेतों में आने के कारण अब किसानी भी संभव नहीं... ऐसे में लोगों को अपने गांव के पास बीएसपी के अंर्तगत एक निजी कंपनी द्वारा संचालित पैलेट प्लांट से रोजगार की उम्मीद है. लेकिन, यहां भी इनको स्थाई काम नहीं मिलने से ग्रामीण परेशान है और स्थाई रोजगार की मांग को लेकर बालोद जिला प्रशासन से भी गुहार लगा चुके है. प्लांट में अस्थाई काम कर रहे ग्रामीण और युवाओं कि मांग है कि खोले गए पैलेट प्लांट में उन्हें ट्रेनिंग गेट पास दिया जाए. उन्होंने आसपास के युवाओं और ग्रामीणों को स्थाई काम दिलाने की भी मांग की है. 

लाल पानी के कारण ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त

रोजगार देने पर नहीं हो रहा सही से काम

भिलाई इस्पात संयंत्र के अनुबंध में दल्लीराजहरा माइन्स में एक निजी कंपनी, जगन्नाथ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का पैलेटाइजिंग प्लांट का निर्माण किया जा रहा है. यह प्लांट घोबेदण्ड के आश्रित ग्राम कोंडेकसा, झिकाटोला, दर्रेकसा और कुंजामटोला के ग्रामीणों की पूरी सहमति से खोला जा रहा है ताकि स्थानीय लोगों और युवाओं को रोजगार मिल सके. लेकिन, दूसरी तरफ, कंपनी द्वारा स्थानीय युवाओं को गेट पास ट्रेनिंग सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. इसकी वजह से इस प्लांट के अंदर आज काम करने वाले सैकड़ों मजदूर आने वाले दिनों में जब प्लांट शुरू होगा सभी बेरोजगार हो जाएंगे.

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काम करा रहे, लेकिन नहीं दे रहे गेट पास-ग्रामीण

पूरे मामले में ग्रामीणों कि माने, तो निजी कंपनी द्वारा इस प्लांट के निर्माण के लिए उनसे काम कराया जा रहा है, लेकिन नियमानुसार उन्हें जो एक कर्मचारी का गेट पास मिलना चाहिए, नहीं दिया जा रहा है. ऐसी स्थिति में कंपनी के इन मजदूरों का कंपनी के पास भी कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है और प्लांट के अंदर अगर कोई हादसा होता है और मजदूर को किसी भी तरह की परेशानी में कंपनी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. इनके पास गेट पास नहीं होने से ये लोग सिर्फ एक दिहाड़ी मजदूर की तरह काम कर रहे है. ऐसे में जब प्लांट पूरी तरह चालू होगा, तो इन मजदूरों को यहां पर काम भी नहीं मिलेगा. 

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लाल पानी के कारण तबाह हो गई किसानी

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लाल पानी से प्रभावित दो दर्जन गांव

बालोद जिले के दल्लीराजहरा स्थित बीएसपी खदान से निकलने वाले फाइंस युक्त लाल पानी की समस्या से उस क्षेत्र के करीब दो दर्जन से अधिक गांव प्रभावित है. लाल पानी से इन गांवों के खेत भी बंजर हो रहे हैं. जिसके चलते समय-समय पर इस क्षेत्र के ग्रामीण आंदोलनों के माध्यम से रोजगार की मांग भी कर चुके हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में खुलने वाले पेलेटाइजिंग प्लांट से काफी उम्मीदें क्षेत्र के ग्रामीणों को थी. लेकिन, प्लांट प्रबंधन की नीति से फिर एक बार ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखने लगी है. 

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