जहां शहीद हुए जवान, वहां क्यों हो रहा घटिया निर्माण, देखिए बदलते बस्तर की घटिया सड़क! NDTV ग्राउंड रिपोर्ट

CG News: छत्तीसगढ़ बदल रहा है, यहां नक्सली इलाकों में विकास हो रहा है. बस्तर में भी बदलाव की बयार है लेकिन वे कौन हैं जो विकास में ब्रेकर बन रहा है. बस्तर में एक जगह 1 किलोमीटर की सड़क में 35 से ज्यादा गड्ढे हैं. नक्सलियों के प्रभाव को कम करने बनाई जा रही सड़क में लापरवाही देखने को मिली है. बस्तर में सड़क निर्माण में जवानों ने बलिदान दिया है, सड़क की सुरक्षा करते हुए जवान शहीद हो चुके हैं. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि बस्तर में कौन बना रहा है घटिया सड़क?

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Bastar Naxalite Area Ground Report: बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxalite Area) में सुरक्षा बल के जवान जान हथेली पर रख सड़क का निर्माण करवाते हैं. सड़क की सुरक्षा में लगे कई जवान शहीद हो चुके हैं. बावजूद इसके कई सड़कों का निर्माण (Poor Construction) बेहद ही घटिया तरीके से किया जा रहा है. बीजापुर जिले (Bijapur District) में नक्सल प्रभावित (Naxal Area) गंगालूर से नेलशनार तक बनाई जा रही सड़क में एक किलोमीटर में ही कई गड्ढे हैं. NDTV की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची और अपनी पड़ताल में कई खामियों को पाया, देखिए हमारी ग्राउंड रिपोर्ट.

एक KM में 35+ गड्ढे

छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित गंगालूर से नेलशनार तक बन रही ये बदलते बस्तर की सैर कराने वाली सड़क है... ये और बात है कि बीजापुर जिले में बन रही इस सड़क में 1 किलोमीटर में कम से कम 35 से ज्यादा गड्ढे तो हमने गिन लिये. बस्तर के अंदरूनी इलाकों में नक्सल समस्या के समाधान के लिए सबसे जरूरी अगर कोई चीज बताई जाती है तो कहा जाता है कि सड़क बना दीजिए पहुंच मार्ग बना दीजिए और वहां की नक्सल समस्या और वह इलाकों की समस्या धीरे-धीरे करके समाप्त हो जाएंगी. सड़कें बनाई जा रही हैं.

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CG Naxalite Area: नक्सल प्रभावित इलाके का हाल
Photo Credit: नीलेश त्रिपाठी

NDTV की टीम ने बीजापुर जिले के गंगालूर से मिरतुर जाने वाली सड़क पर हिरौली के पास 10 किलोमीटर के दायरे में 1 किलोमीटर में हमने जब गिनती की तो 35 से ज्यादा गड्ढे हैं. पहाड़ी काटकर ही बेस का मटैरियल यूज किया जा रहा है. क्या अनुमति ली गई थी कि पहाड़ी काटकर ही सड़क का बेस पदार्थ डाल दिया जाए?

क्या वह रेट में उसे चीज को शामिल किया गया है? यह जांच का विषय है, लेकिन एक जो तस्वीर में दिखाना चाह रहा हूं कि किस तरह से सड़क बनाने में कितनी गंभीरता दिखाई जाती है. कितना गंभीर नजर आता है शासन प्रशासन या कितनी गंभीरता से जांच की जाती है, उसकी यह उसकी बानगी देखिए यह 1 किलोमीटर के दायरे में 35 से ज्यादा गड्ढे या पैच हमको हमको नजर आए जो की उखड़े हुए हैं. हो सकता है इसे बनाया जाए, लेकिन बस्तर में जब इस तरह की सड़क बनई जाती हैं तो उसमें मिट्टी, गिट्टी या जो भी कम्पोनेंट यूज किया जा रहा है, उसमें एक कम्पोनेंट और यूज होता है वो है जवानों का खून.

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CG Naxalite Area: नक्सल प्रभावित इलाके में सड़क का घटिया निर्माण
Photo Credit: नीलेश त्रिपाठी

  • बीजापुर टी- प्वाइंट से जगरगुंडा तक निर्माणाधीन 70 किलोमीटर की सड़क निर्माण में अब तक सुरक्षा बलों के 48 जवानों की शहादत हो चुकी है.
  • 24 अप्रैल 2017 को सुकमा जिले के बुरकापाल में सड़क सुरक्षा में लगे सीआरपीएफ 74वीं बटालियन के जवानों पर नक्सलियों ने हमला कर दिया, जिसमें 25 जवान शहीद हो गए.
  • 21 दिसंबर 2024 को ही नारायणपुर जिले में सड़क सुरक्षा में लगे 2 जवान नक्सलियों के लगाए आईईडी की चपेट में आने से घायल हो गए.
  • बस्तर में सड़क सुरक्षा में लगे जवानों पर नक्सली हमले के दर्जनों मामले हैं.
  • बस्तर में सड़क सुरक्षा में लगे 100 से ज्यादा जवान अब शहीद हो चुके हैं, दर्जनों घायल हुए हैं.
नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क बनाना कितना चुनौती पूर्ण होता है, इसका इसका उदाहरण यह सड़क खुद भी है, क्योंकि जब साल 2005 में जिला मुख्यालय से गणगौर तक पहले फेस में यहां पर सड़क बनाई जा रही थी. तब उस दौरान साल 2005 में नक्सलियों ने एमपीवी जो माइंस प्रोटेक्टिव व्हीकल होता है, उसको आईईडी ब्लास्ट कर उड़ा दिया था, जिसमें जवानों की शहादत हुई थी.

इसके अलावा इस इलाके में सर्चिंग के दौरान कई बार आईईडी ब्लास्ट हो जाना कई बार जवानों के घायल हो जाना कई बार शहादत हो जाना,यह घटनाएं होती रही हैं. वैसे इलाके में अब तस्वीर देख लीजिए कि किस तरह से सड़क का निर्माण कितनी गंभीरता से कराया जा रहा है. इसमें भ्रष्टाचार हो रहा है,नहीं हो रहा है कमियां कहां रह रही है यह सब चीज जांच का विषय है,लेकिन तस्वीर यह बयान करती है कि ऐसे बड़े हिस्से की तस्वीर बदलने की कोशिश करने का दावा करते हैं, कहा जाता है कि सड़क पहुंच जाएगी तो भारत में आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता है नक्सल समस्या उसका समाधान हो जाएगा. ऐसे इलाके जहां मूलभूत सुविधाएं भी पहुंच नहीं पा रही हैं, सरकार खुद नहीं पहुंच पा रही. वहां सड़क के माध्यम से पहुंचा जाएगा. उन इलाकों में सड़क बनाने के लिए किस तरह से गंभीरता दिखाई जा रही है.

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गंगालूर से नेलशनार तक बन रही 52 किलोमीटर की सड़क में करीब 40 किलोमीटर तक निर्माण पूरा कर लिया गया है. 19 नवंबर 2024 को यानी कि करीब एक महीने पहले की छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरूण साव जिनके पास लोक निर्माण विभाग का जिम्मा भी है, बीजापुर पहुंचे थे. सड़क की समीक्षा की और बचे कार्य जल्द पूरा करने के निर्देश भी दिए. काश साहब, गंगालूर से हिरोल तक सड़क का निरीक्षण भी कर लिए होते तो निर्माण में गुणवत्ता की हकीकत दिख जाती. खैर घटिया सड़क को लेकर प्रशासन अंजान है, ऐसा नहीं है.

कलेक्टर का क्या कहना है?

बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा का कहना है कि मैं खुद उस रास्ते पर जा चुका हूं. यह रोड हमारे लिए बहुत क्रिटिकल रोड है. गंगालूर से नेलशनार को जोड़ने वाली इस सड़क पर हरोली तक डामर का काम बहुत खराब हुआ है, गुणवत्ता बहुत खराब है. मैंने पीडब्ल्यूडी को भी कहा है कि उसको उखाड़कर दोबारा पैच करवाया जाए. आगे जहां भी ऐसी स्थिति है, उसे रेक्टिफिकेशन करके जल्द से जल्द गुणवत्ता पूर्ण काम किया जाए.

सड़क बनाने में क्या भ्रष्टाचार किया जा रहा है? अगर भ्रष्टाचार हो रहा है तो भ्रष्टाचार कौन कर रहा है? भ्रष्टाचार अगर कोई कर रहा है तो उसको किसका संरक्षण प्राप्त है? अगर संरक्षण प्राप्त है तो क्या भ्रष्टाचार करने वालों और उसको सरंक्षण देने वालों पर कोई कार्रवाई होगी? कार्रवाई होगी तो कब होगी? ऐसे तमाम सवालों के जवाब भी मिलने चाहिए.

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