CG News: अंबिकापुर नगर निगम की हालत खराब, पार्षद-कर्मचारियों का वेतन संकट में, क्यों बनी ऐसी स्थिति?

Ambikapur Municipal Corporation: पिछले एक दशक में दो बार सरकार बदल गई. लेकिन अंबिकापुर नगर निगम के हालात नहीं फिरे. अब स्थिति यह है कि पार्षदों का मानदेय लटक गया, कर्मचारियों की सैलरी में संकट आ गया. हालांकि बीजेपी पार्षद का कहना है कि जल्द ही नगरीय निकाय विभाग मदद करेगा.

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Nagar Nigam Ambikapur: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नगर निगम में शुमार अंबिकापुर नगर निगम (Ambikapur Municipal Corporation) पिछले डेढ़ साल से अपने पार्षदों को मानदेय देने में असफल रहा है. यहां की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि ये अपने कर्मचारियों को भी समय से वेतन देने में नाकाम है. लंबे समय से खराब वित्तीय स्थिति से जूझ रहे निगम के निर्वाचित पार्षदों में अब रोष व्याप्त है, वहीं कर्मचारी भी दबी-जुबान में इस स्थिति के लिए निगम प्रशासन की नाकामी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार इसका असर निगम के कार्यों में भी पड़ सकता है.

क्यों ऐसी स्थिति बनी?

अंबिकापुर नगर निगम में पिछले 10 वर्षों से कांग्रेस (Congress) का बहुमत से कब्जा है. लेकिन इन दस वर्षों में राजनीतिक उठा-पटक के बीच निगम की हालत बद से बद्तर हो गई है. जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण निगम की बदहाल आर्थिक स्थिति है. कांग्रेस के 10 वर्षों की बात करें तो पहले 5 वर्ष में राज्य में बीजेपी की सरकार होने से निगम को हर कार्य के लिए राज्य से फंड लाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी. ऐसे में वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अंबिकापुर नगर निगम में पुनः कांग्रेस की जीत से यह आशा जागी कि अब निगम के बुरे दिन बीत जाएंगे. लेकिन तब के अंबिकापुर विधायक टीएस सिंह देव और तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच चल रहे अंदरुनी खींचतान की वजह से निगम को कोई खास फायदा नहीं हुआ. वहीं वर्तमान में बीजेपी की सरकार आने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.

आय-व्यय में काफी अंतर

अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र से राजस्व की वसूली की बात करें तो निगम के राजस्व विभाग प्रति माह तकरीबन 40 से 50 लाख रुपए वसूल पाती है. जो खर्च के मुकाबले काफी कम है. निगम के हर विभाग के जैसे बिजली, सफाई, पेयजल आपूर्ति सहित अन्य खर्चों की बात करें तो यह तकरीबन एक करोड़ से ज्यादा है, जबकि कर्मचारी व प्लेसमेंट कर्मचारियों का वेतन अलग होता है. ऐसे में निगम की आमदनी अठन्नी को खर्च रुपया जैसे हालात हैं.

इस बारे में निगम के कांग्रेस के पार्षद व निगम सभापति अजय अग्रवाल का कहना है कि अम्बिकापुर नगर निगम के आमदनी व एस्टेब्लिशमेंट खर्च में जमीन-आसमान का अंतर है. शासन समय-समय पर सहयोग करता है. शासन से जो राशि प्राप्त होती है, उसी से निगम का काम-काज चलता है.

अग्रवाल ने कहा पिछले कुछ महीनों से शासन से प्राप्त होने वाली राशि नहीं मिलने के कारण वे अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं.

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बीजेपी का क्या कहना है?

वहीं इस मामले में नगर निगम के बीजेपी पार्षद आलोक दुबे का कहना है कि कांग्रेस के कार्यकाल में निगम की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. उन्होंने ने कहा कि पार्षदों को मानदेय नहीं मिलना चिंता का विषय है. इसके लिए नगरीय निकाय मंत्री अरुण साव से चर्चा हुई है, जल्द ही राशि निगम को मिलेगी.

आयुक्त ने यह कहा

निगम के आयुक्त प्रकाश राजपूत का इस मामले में कहना है कि निगम के कर्मचारियों को वेतन दिया गया है निगम के पार्षदों का मानदेय एक साल से नहीं दिया गया है इसके लिए शासन स्तर से प्रयास किया जा रहा है. निगम में 48 वार्ड है उतने ही पार्षद हैं, प्रतिमाह इन्हें 15 हजार मानदेय देने का प्रावधान है.

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