नक्सलियों ने 60-70 किलो विस्फोटकों से किया घातक हमला, सवाल- बीजापुर में कहां-कहां हुई चूक?

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 6 जनवरी को नक्सलियों ने साल का सबसे बड़ा हमला किया. IED ब्लास्ट से अंजाम दिए गए इस हमले में 8 जवान शहीद हो गए. सवाल ये है कि जब नक्सली बैकफुट पर बताए जा रहे हैं तो इतना बड़ा हमला करने में वे कैसे कामयाब हुए? हमारे जवानों की शहादत सुरक्षा में हुई चूक का जवाब मांग रही है..

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Bijapur Naxal Attacks: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सोमवार को एक बड़ा नक्सली हमला हुआ. उसूर ब्लॉक के अंबेली गांव के पास नक्सलियों ने सुरक्षा बलों की गाड़ी को आईईडी विस्फोट से उड़ा दिया.इस हमले में दंतेवाड़ा डीआरजी के 8 जवान शहीद हो गए, जबकि वाहन चालक तुलेश्वर राना की भी जान चली गई.  हमला उस समय हुआ जब बीजापुर से लौट रही जॉइंट ऑपरेशन टीम अंबेली गांव के पास से गुजर रही थी. यह हमला बीते दो वर्षों में राज्य में सुरक्षा बलों पर नक्सलियों का सबसे बड़ा हमला है और साल 2025 का पहला बड़ा नक्सली हमला माना जा रहा है.  सवाल ये हैं कि चूक कहां-कहां हुई?

ये हमला उसी कुटरू थाने के इलाके में हुआ जहां से लगभग 20 साल पहले सलवा जुडूम शुरू हुआ था. 20 साल बाद - यहीं नक्सलियों ने कंक्रीट सड़क पर जवानों से भरी स्कॉर्पियो को बारूद से उड़ा दिया, वो भी लगभग करीब ढाई सौ मीटर की दूरी से. बता दें कि बीते 24 साल में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में 1313 जवान शहीद हुए हैं. इसी अवधि में नक्सलियों ने पूरे छत्तीसगढ़ में 1197 धमाके किये हैं. इन सभी धमाकों में रणनीति एक जैसी ही रही. मतलब काफिले की गाड़ी आते ही पहले से लगाई आईईडी से धमाका. सोमवार को हुए हमले में IED धमाके के बाद सड़क पर 10 फीट गहरा गड्डा हो गया. 
हमारे संवाददाता विकास तिवारी विस्फोट वाली जगह पर पहुंचे और वारदात को समझने की कोशिश की .

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बकौल विकास धमाका इतना जर्बदस्त था गाड़ी के परखच्चे उड़ गये थे. ड्राइवर का शव अभी तक नहीं मिला है. आसपास के इलाके में उनके शव की खोज की गई तो शरीर के कुछ हिस्से मिले पर पूरा शव नहीं मिला. अब धमाके से 300 मीटर दूर मौजूद नाले में गोताखोरों को भी उतारा गया था. 


शुरुआती जांच में ऐसा लगता है कि नक्सलियों ने विस्फोट के लिए 60-70 किलो बारूद का इस्तेमाल किया है. ऐसे में सवाल ये है कि  आखिरकार नक्सली 60-70 किलो विस्फोटक लगाने में कामयाब कैसे हुए? सूत्र बताते हैं कि कुछ बड़ी गलतियां जरूर हुई हैं

बहरहाल हम ये आशा कर सकते हैं कि इन सवालों के जवाब जांच पूरी होने के बाद मिल सकेंगे. जिले के पुलिस कप्तान जीतेन्द्र यादव ने बताया कि ब्लास्ट का इंपैक्ट बहुत ज्यादा था और अभी इसकी समीक्षा बाकी है कि किन वजहों से IED ब्लास्ट हुआ है. इन इलाकों में लगातार नक्सली अपने टैक्टिस बदलते रहते हैं. जो जवान शहीद हुए हैं वो 3 दिनों से ऑपरेशन पर थे. उन्होंने अबूझमाड़ के जंगलों में 3 नक्सलियों को मार गिराया था. उनकी शहादत कहीं से बेकार नहीं जाएगी. 
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