ये तो गजब हो गया ! मेडिकल कॉलेज में 77 पदों का विज्ञापन, 2 ही आए इंटरव्यू देने वो भी फेल रहे

Raipur Hospital News: रायपुर के जवाहर लाल स्मृति मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे छात्र परेशान हैं क्योंकि कॉलेज में उन्हें पढ़ाने के लिये शिक्षक ही नहीं हैं . इस समस्या से कॉलेज प्रशासन भी भली भांति परिचित है लिहाजा मेडिकल कॉलेज ने फैकल्टी के 63 समेत 77 पदों के लिए इश्तेहार दिया. लेकिन हद ये है कि इंटरव्यू देने आए सिर्फ 2 डॉक्टर उस पर भी तुर्रा ये कि ये दोनों भी अपात्र पाए गए

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Raipur Health News:आपने अक्सर सुना होगा कि अमुक विभाग में कुछ दर्जन भर पद के लिए वैकेंसी निकली और हजारों अभ्यर्थी पहुंच गए इंटरव्यू देने. इंटरव्यू सेंटर के बाहर भीड़ की तस्वीरें भी वायरल होती हैं. जिसके बाद लोग देश में बेरोजगारी के आलम की चर्चा करने लग जाते हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इसका उल्टा हुआ. यहां के जवाहर लाल स्मृति मेडिकल कॉलेज (Jawahar Lal Smriti Medical College) में फैकल्टी के 63 समेत 77 पदों के लिए कॉलेज प्रशासन ने विज्ञापन दिया लेकिन इंटरव्यू देने आए केवल दो डॉक्टर. हद ये है कि ये दोनों डॉक्टर भी अपात्र पाए गए. 

बता दें 1960 में शुरू हुआ रायपुर का जवाहर लाल स्मृति मेडिकल कॉलेज राज्य के सबसे बड़े सरकारी कॉलेजों में से एक है. इस मेडिकल कॉलेज की राज्य में अपनी प्रतिष्ठा है.  यहां से निकल कर देश और दुनिया में सैकड़ों डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. कॉलेज में एमबीबीएस में 200, एमडी-एमएस में 150 छात्र पढ़ते हैं. यहां तीन विषयों में सुपरस्पेशलिटी पाठ्यक्रम भी है लेकिन स्थिति ये है कि आज मेडिकल के अधिकांश डिपार्टमेंट में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं मिल रहे हैं. 

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इस कॉलेज के डीन विवेक चौधरी ने पुष्टि की है कि बीते दिनों वॉक इन इंटरव्यू लिया गया था जिसमें सिर्फ दो ही अभ्यर्थी आए थे. इन दोनों को ही हमने इंटरव्यू में अयोग्य पाया. अब कॉलेज प्रशासन फिर से   बेहतर सेवा शर्तों के साथ कैंडिडेट को चिन्हित करके इंटरव्यू करेगा. हमारी कोशिश अच्छे डॉक्टरों को इस कॉलेज से जोड़ने की है. कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के 53, सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर के 10 और दूसरे 14 पद खाली हैं. जिसके लिए कॉलेज ने विज्ञापन दिया था. जानकारों का कहना है कि शायद यहां की सेवा शर्तें और कम तनख्वाह की वजह से लोगों ने अप्लाई नहीं किया. इसके अलावा राज्य में 5 नए मेडिकल कॉलेज भी खुल गए हैं. जिसकी वजह से डॉक्टरों के पास विकल्प ज्यादा हैं.  
दूसरी तरफ रायपुर IMA के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता का  कहना है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज में सैलरी कम मिलती है. उनका कहना है कि यदि छत्तीसगढ़ में भी मध्यप्रदेश की तरह सेवा शर्तें बनाई जाएं तो यहां भी डॉक्टर मिल जाएंगे. इसके अलावा राज्य के निजी कॉलेजों में सुविधाएं ज्यादा हैं. 

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