
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का मालगांव अब सिर्फ एक गांव नहीं रहा. यह गांव अब 'रक्तवीरों का गांव' कहलाने लगा है. यहां हर घर से कोई न कोई व्यक्ति रक्तदान करता है. इस गांव में रक्तदान अब सेवा नहीं, परंपरा बन चुकी है. दरअसल, मालगांव के समाजसेवी और जनपद सदस्य भीम निषाद हर साल अपने जन्मदिन पर रक्तदान करवाते हैं. वह खुद भी रक्तदान करते हैं और गांव के लोगों को इसके लिए प्रेरित करते हैं. पिछले साल उनके जन्मदिन पर 108 लोगों ने रक्तदान किया था. इस साल यह संख्या बढ़कर 161 हो गई. यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
स्मार्ट वॉच का दिया गया तोहफा
इस बार भीम निषाद ने रक्तदान करने वाले सभी लोगों को स्मार्ट वॉच दी. ताकि लोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें. यह बात पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई. लोग इस पहल से बहुत प्रभावित हैं और अन्य गांवों में भी लोग इससे प्रेरणा ले रहे हैं.
गांव के काफी लोगों में दिखा उत्साह
इस मुहिम में गांव के बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी भाग लेते हैं. यहां रक्तदान किसी त्योहार की तरह मनाया जाता है. ग्राम कस के दिव्यांग चैंपेश्वर ध्रुव ने 18वीं बार रक्तदान किया. गरियाबंद के रोमी सिन्हा अब तक 35 बार रक्तदान कर चुके हैं. कई कॉलेज छात्रों ने पहली बार रक्तदान किया. यहां रक्तदान अब 'महादान' से भी बढ़कर 'फैशन' बन चुका है.
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लक्ष्य है - करीब करीब 200 रक्तदान
भीम निषाद का कहना है कि ये तो सिर्फ शुरुआत है. अगले साल उनका लक्ष्य है कि 200 से ज्यादा लोग रक्तदान करें. वे चाहते हैं कि मालगांव को पूरे छत्तीसगढ़ में 'रक्तदान मॉडल गांव' के रूप में जाना जाए. जहां दूसरे गांवों में रक्तदान के लिए अभियान चलाना पड़ता है, वहीं मालगांव खुद ही मिसाल बन गया है.
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