NSDL: देश की सबसे बड़ी डिपॉजिटरी फर्म के IPO को मिली SEBI की मंजूरी, SBI और UBI के पास है इतनी हिस्सेदारी

NSDL IPO: डिपॉजिटरी सर्विसेज मुहैया कराने वाली देश की पहली कंपनी NSDL (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) 2023 में ही आईपीओ (IPO) लाने की तैयारी कर रही थी. लेकिन अब खबर आयी है कि सेबी ने NSDL के आईपीओ को मंजूरी दे दी है. आइए जानते हैं कि इस संस्था के कितने शेयर किसके पास हैं.

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Share Market Tips: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) यानी सेबी (SEBI) की ओर से देश की सबसे बड़ी डिपॉजिटरी फर्म नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (National Securities Depository Limited) एनएसडीएल (NSDL) के इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) को मंजूरी दे दी गई है. सेबी की ओर से कंपनी को पब्लिक इश्यू के लिए ऑब्जरवेशन जारी कर दी गई है. इसका मतलब है कि कंपनी आईपीओ ला सकती है. एनएसडीएल की ओर से पिछले साल जुलाई में जमा किए गए ड्राफ्ट पेपर के मुताबिक यह पब्लिक इश्यू ऑफर फॉर सेल (OFS) होगा. इसमें करीब 5.72 करोड़ शेयरों (Share) की बिक्री की जाएगी. ओएफएस में पैसा कंपनी के निवेशकों के पास जाता है.

किसके पास कितना है शेयर?

आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) के पास एनएसडीएल में 26 प्रतिशत है, वह इस आईपीओ में करीब 2.22 करोड़ शेयरों की बिक्री करेगा. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), जिसकी डिपॉजिटरी में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है. उसकी ओर से पब्लिक इश्यू में 1.8 करोड़ शेयरों की बिक्री की जाएगी. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) , यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) और केनरा बैंक के पास एनएसडीएल में क्रमशः: 5 प्रतिशत, 2.8 प्रतिशत और 2.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

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जानकारी के मुताबिक, यूबीआई की ओर से 56.2 लाख शेयर, एसबीआई और स्पेसिफाइड अंडरटेकिंग ऑफ द यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की ओर से क्रमश: 40 लाख और 34 लाख शेयर आईपीओ में बेचे जाएंगे. एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) के पास भी एनएसडीएल में 8.95 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसमें से करीब 2 प्रतिशत हिस्सेदारी आईपीओ में ओएफएस के तहत बिक्री की जाएगी.

देश की सबसे बड़ी डिपॉजिटरी

31 मार्च, 2023 तक एनएसडीएल भारत में सबसे बड़ी डिपॉजिटरी है, जिसे जारीकर्ताओं की संख्या, सक्रिय उपकरणों, डीमैट निपटान मात्रा में बाजार हिस्सेदारी और संपत्तियों के मूल्य से मापा जाता है. डिपॉजिटरी अधिनियम के कार्यान्वयन के बाद एनएसडीएल भारत में नवंबर 1996 में प्रतिभूतियों के डिमटेरियलाइजेशन में अग्रणी डिपॉजिटरी बन गई थी.

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