GST के 8 साल; कलेक्शन से लेकर टैक्सपेयर तक जानिए कैसे आया बदलाव! जुलाई से बदल जाएंगे रिटर्न के नियम

GST: जीएसटी को एक राष्ट्र, एक कर के उद्देश्य से पेश किया गया था. जीएसटी आने के साथ ही विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक कर दिया गया. जीएसटी ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे करों की जगह ले ली. इससे देश में कर प्रणाली में एकरूपता आई.

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GST: जीएसटी के आठ साल

8 Years of GST: 1 जुलाई 2025 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के आठ वर्ष पूरे हो गए हैं. जीएसटी को एक सशक्त और अधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने में महत्वपूर्ण मानते हुए वर्ष 2017 में शुरू किया गया था. जीएसटी के साथ कर अनुपालन सरल होने के साथ कारोबारियों की लागत में कमी आई और माल को बिना किसी परेशानी के देश के एक राज्य से दूसरे में ले जाने की अनुमति मिली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी का परिचय 'नए भारत के एक मार्गदर्शक कानून' के रूप में दिया था. बीते आठ वर्षों में जीएसटी को जबरदस्त सफलता मिली और जीएसटी कलेक्शन को लेकर लगातार वृद्धि दर्ज की गई. आइए जानते हैं क्या कहते हैं आंकड़ें?

पिछले पांच साल में रिकॉर्ड कलेक्शन

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी कलेक्शन को लेकर बीते 5 वर्षों में लगभग दोगुना वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 11.37 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-2025 में 22.08 लाख करोड़ रुपए हो गया. जीएसटी कलेक्शन में यह तेजी अनुपालन और आर्थिक गतिविधि में निरंतर वृद्धि को दर्शाती है.

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जीएसटी के वर्तमान स्ट्रक्चर में दरों के चार मुख्य स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. ये दरें देशभर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं. हालांकि, मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी तय की गई हैं. जीएसटी की दर सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर 3 प्रतिशत, कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत और कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत लगती है.

टैक्सपेयर्स की संख्या में भी उछाल

आधिकारिक डेटा के अनुसार, जीएसटी कलेक्शन के साथ-साथ सक्रिय जीएसटी करदाताओं की संख्या में भी जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है, जो कि 30 अप्रैल 2025 तक बढ़कर 1,51,80,087 हो गए हैं.

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जीएसटी को एक राष्ट्र, एक कर के उद्देश्य से पेश किया गया था. जीएसटी आने के साथ ही विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक कर दिया गया. जीएसटी ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे करों की जगह ले ली. इससे देश में कर प्रणाली में एकरूपता आई.

1 जुलाई से बदल जाएंगे रिटर्न के ये नियम

1 जुलाई 2025 से जीएसटी के कुछ नियमों में बदलाव हो रहे हैं. GST काउंसिल की ओर से जारी नए नियमों के तहत GSTR-3B फॉर्म लॉक हो जाएगा और रिटर्न फाइलिंग की अधिकतम सीमा तीन साल तक सीमित कर दी गई है. इन बदलावों का मकसद रिटर्न फाइलिंग में पारदर्शिता बढ़ाना, गलतियों और धोखाधड़ी को कम करना है.

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