Bhopal के इस मंदिर में हैं दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग, इसके साथ जुड़ी है ये अनोखी कहानी...

राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर की दूरी पर एक विशाल पहाड़ी पर दुनिया का इकलौता ऐसा शिवलिंग (Bhojpur Shiv Mandir) है, जो पत्थर से बना हुआ है लेकिन इस मंदिर का निर्माण आज भी अधूरा है, अब आप सोच रहे होंगें ऐसा क्यों? आइए हम आपको बताते हैं, भोजपुर मंदिर (Bhojpur Mandir) की खासियत के बारे में..

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भोजपुर शिवलिंग मंदिर की जानिए अनोखी कहानी

Bhojeshwar Shiv Mandir: सावन का महीना आते ही शिवालयों में भोलेनाथ के भक्तों की भीड़ दिखाई देने लगती है. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) से 32 किलोमीटर की दूरी पर एक विशाल पहाड़ी पर दुनिया का इकलौता ऐसा शिवलिंग (Bhojpur Shiv Mandir) है, जो पत्थर से बना हुआ है लेकिन इस मंदिर का निर्माण आज भी अधूरा है, अब आप सोच रहे होंगें ऐसा क्यों? आइए हम आपको बताते हैं, भोजपुर मंदिर (Bhojpur Mandir) की खासियत के बारे में..

किसने बनवाया मंदिर

भोजपुर मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोजपुर द्वारा किया गया था, इसीलिए इस मंदिर का नाम भोजपुर मंदिर पड़ा. यह मंदिर पहाड़ी के बीच बना हुआ है, जहां से बेतवा नदी गुज़रती है, उसी से सटे इस मंदिर का निर्माण किया गया था, जहां दूर-दूर  से शिवभक्त शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं.

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मंदिर क्यों है आज भी अधूरा 

अब भी इस मंदिर का पूरा निर्माण नहीं हुआ, दरअसल इस मंदिर को पूरा न बनने के बारे में बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण एक ही रात में करना था, जिस वजह से सूर्योदय होने तक इस मंदिर का निर्माण नहीं हो पाया इसीलिए इस मंदिर का निर्माण आज तक अधूरा है, दरअसल अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने माता कुंती ने इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी लेकिन जैसे ही सुबह हुई पांडव लुप्त हो गए और मंदिर अधूरा रह गया है.

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मंदिर निर्माण के अधूरे होने की यह भी है वजह 

कहा जाता है मंदिर अपूर्ण होने के पीछे का कोई ख़ास कारण आज भी लोगों को नहीं पता है लेकिन मान्यता है कि मंदिर के निर्माण को लेकर कोई संकल्प रहा होगा, उसका निर्माण एक रात में ही होना सुनिश्चित हुआ होगा लेकिन सुबह हो जाने के कारण मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और मंदिर अंततः मंदिर अपूर्ण रह गया, मंदिर का निर्माण आज भी अधूरा है और आस-पास के अधूरे पिलर मूर्तियां इस बात की गवाही देते हैं.

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70, हज़ार किलो के पत्थरों का निर्माण

मंदिर के पीछे एक ढलान हैं जिसका उपयोग पत्थरों को ऊंचाई तक पहुंचने के लिए किया जाता है. पत्थर के विशाल भागों को निर्माण में लाने की ऐसी विधि कहीं और विद्यमान् नहीं है, इस ढलान की सहायता से ही लगभग 70, हज़ार किलो के पत्थरों का निर्माण पहाड़ी की चोटी तक पहुंचाया गया था.

देश में इस्लाम आने के पहले ही बन गया था मंदिर

मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम आने के पहले किया गया था, इस मंदिर के छत पर बना अधूरा गुंबद इस बात को दर्शाता है कि इसका कारण आज भी अधूरा है. मंदिर का दरवाज़ा किसी मंदिर के इमारत के दरवाजे से भी काफी बड़ा है.

अलग तरीके से पूजते हैं भोलेनाथ को

इस मंदिर में भगवान शिव के पूजा अर्चना करने का तरीक़ा भी अलग है. शिवलिंग इतना बड़ा है कि आप यहां खड़े होकर भी अभिषेक कर सकते हैं. जहां अभिषेक हमेशा जलहरी पर चढ़कर ही किया जाता है. कुछ समय पहले श्रद्धालु भी यहां जलहरी तक पूजा करते थे लेकिन अब पुजारी ही वहां तक जाकर शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं.

गर्भगृह की अपूर्ण छत चार स्तंभों पर टिकी 

मंदिर का द्वार पश्चिम दिशा की ओर है. भोजेश्वर महादेव मंदिर 106 फुट लंबा और 77 फुट चौड़ा है. मंदिर 77 फुट ऊंची एक चबूतरे पर बनाया गया है, मंदिर के गर्भगृह की अपूर्ण छत 40 फुट ऊंची है, जो सिर्फ़ चार स्तंभों पर टिकी हुई है. गर्भगृह का विशाल द्वार दो तरफ़ से गंगा और यमुना की प्रतिमाओं से सजा है. चार स्तंभों में शिव-पार्वती, सीता-राम, लक्ष्मी-नारायण और ब्रम्हा-सावित्री की प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है. मंदिर की छत गुंबद आकार की है और यह इस बात का सबूत है कि गुंबद का निर्माण इस्लाम के आने से पहले से ही किया जा रहा है.

 22 फुट ऊंचा शिवलिंग 

मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है गर्भ गृह में स्थापित 22 फुट ऊंचा शिवलिंग है, जो कि दुनिया के विशालतम शिवलिंगों में से एक है. शिवलिंग का व्यास 7.5 फुट है. शिवलिंग एक ही पत्थर से बनाया गया है, जिसे बनाने में चिकने बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है.

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Disclaimer: (यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)