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This Article is From Aug 21, 2023

बालोद : आदिवासी विकास का कर्मचारी निकला भ्रष्टाचारी, करोड़ों की अनुपातहीन संपत्ति का आरोप

उक्त शिकायत पर विभाग के अवर सचिव ने कलेक्टर आदिवासी विकास शाखा को जांच करने पत्र लिखा है. जिसके बाद सहायक आयुक्त मेनका चन्द्राकर ने भी स्थापना शाखा को मार्क किया है. जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है.

बालोद : आदिवासी विकास का कर्मचारी निकला भ्रष्टाचारी, करोड़ों की अनुपातहीन संपत्ति का आरोप

बालोद जिले के आदिवासी विकास विभाग में सहायक ग्रेड-2 के पद पर पदस्थ कर्मचारी सदानंद साहू पर भ्रष्टाचार और करोड़ो की अनुपातहीन संपत्ति मामले में दुर्ग के जवाहरनगर निवासी आर एल साहू ने सचिव एवं आयुक्त आदिम जाति तथा अनु.जाति विकास विभाग, आयुक्त आयकर विभाग, सचिव आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, संभागायुक्त दुर्ग, कलेक्टर कुलदीप शर्मा एवं कलेक्टर आदिवासी विकास शाखा से 12 बिंदुओं में लिखित में शिकायत की है.

उक्त शिकायत पर विभाग के अवर सचिव ने कलेक्टर आदिवासी विकास शाखा को जांच करने पत्र लिखा है. जिसके बाद सहायक आयुक्त मेनका चन्द्राकर ने भी स्थापना शाखा को मार्क किया है. जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है. शिकायतकर्ता एलआर साहू ने 12 बिंदुओं में जो शिकायत की है, उसमें कई गंभीर आरोप सदानंद साहू पर लगाये है. शिकायत पत्र में सहायक ग्रेड-2 सदानंद साहू पर शासकीय धनराशि आबंटन में अपने और अपने परिवार वालों के निजी बैंक खाते में कोषालय से सीधे हस्तांतरित करने और कुछ दिनों पूर्व 98 लाख रुपये को स्वंय के खाते में हस्तांतरित करने कर गबन करने का आरोप लगा हैं. इतना ही नही गबन राशि को आपस में साठगांठ कर बाटने में विवाद के चलते पूरे विभाग को इसकी जानकारी हो गई है, बावजूद सदानंद साहू के आतंक के चलते कोई कुछ नही बोलता. जो गहन और गंभीर जांच का विषय हैं. 

12 बिंदुओं में शिकायत, कई गंभीर आरोप

शिकायतकर्ता दुर्ग के जवाहर नगर निवासी एलआर साहू द्वारा सहायक ग्रेड-2 सदानंद साहू पर 12 बिंदुओं में जांच कर कड़ी कार्यवाही करने शिकायत की है. शिकायत में आगे बताया गया है कि सदानंद साहू निर्माण शाखा का प्रभार देखते हुए फर्जी निर्माण कंपनी के माध्यम से स्वयं निमाण कार्य कराते है और शासन को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है. इनके द्वारा अपने पुत्र हितेश साहू को जो कुछ वर्ष पहले बलात्कार के केस में जेल में बंद था, उसके नाम से भी निर्माण कार्य छात्रावास भवन का ठेका दिया गया है.

हितेश साहू जमानत पर रिहा होकर मैं विभागीय ठेकेदार हूं एवं सदानंद साहू जो विभाग का हेड क्लर्क है, उसका बेटा हूं कहकर आदिवासी कन्या छात्रावास में जाकर अश्लील हरकत भी करता रहता है, विभागीय निर्माण शाखा के संपादन के साथ ही साथ विभागीय ठेकेदारी का कार्य करता है, जिसकी जानकारी विभाग के सभी कर्मचारी को है. साथ ही इनके द्वारा क्रय शाखा, स्टोर शाखा एवं सामान्य स्थापना शाखा का कार्य भी संपादित किया जा रहा है. विभागीय छात्रावासों एवं आश्रमों हेतु इनके द्वारा फर्जी दुकानों/फर्मों से खरीदी कर लाखों-करोड़ों का घपला किया जा रहा है. बगैर सामग्री प्राप्त किये ही इनके द्वारा अपने परिवार वालों को बोगस फर्मों के नाम से राशि भुगतान की गई है. इनके घर से भी जांच कर छात्रावासों में उपयोग की जाने वाली समस्त सामग्री प्राप्त की जा सकती है.

करोड़ो की अनुपातहीन संपत्ति

शिकायत में भ्रष्टाचार कर करोड़ों रूपये की अनुपातहीन संपत्ति की जांच की भी बात कही गई है. दुर्ग शहर में बोरसी धनोरा में करोड़ों रुपये का मकान है, जिसकी लागत शुल्क इनके पूरे सेवाकाल में प्राप्त वेतन से भी कई गुना ज्यादा होने का आरोप है. भिलाई कोहका में 10 डिसमिल जमीन है, जिसकी वर्तमान कीमत लगभग तीन करोड़ से भी अधिक बताई गई है. इतना ही नही सहायक ग्रेड-2 सदानंद साहू द्वारा अपने मूल ग्राम में 10 एकड़ का कृषि फार्म खरीदा गया है, जिसकी कीमत लगभग एक करोड़ रुपये से भी अधिक है. ससुराल ग्राम में 7 एकड़ कृषि फार्म क्रय किया गया है, जिसकी कीमत भी एक करोड़ रुपये से अधिक है.

सरकार को लगाया करोड़ो का चूना

शिकायत में आगे बताया गया है कि सहायक ग्रेड-2 की फर्जी बोगस फर्म दुकान एवं फर्जी निर्माण कंपनी का फर्जी तरीके से की गई खरीदी-बिक्री एवं फर्जी तरीके से निर्माण एजेंसी को सरकारी ठेका देकर लाखों-करोड़ों का चूना लगाया गया है. शिकायतकर्ता एलआर साहू ने सहायक ग्रेड-2 सदानंद साहू को लाईन अटैच कर निष्पक्ष गहन जांच की मांग की है, ताकि जांच को प्रभावित नही किया जा सके.

आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त मेनका चंद्राकर ने कहा है- शिकायत आई है, 18 अगस्त को मैंने स्थापना शाखा के रवि श्रीवास्तव को मार्क किया है, कलेक्टर से भी पत्र आया है, मैं कलेक्टर सर से बात करूंगी की इसमे जांच करता विभागीय कोई न रहे, मैं चाहूंगी कि विभाग से इसमे कोई जांच न करे, क्योकि कई बार एलिगेशन लग जाता है, विभाग जांच करता है. कोई डिप्टी कलेक्टर या ज्वाइंट कलेक्टर रैंक का अधिकारी जांच करे तो अच्छा होगा.

                    

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