विज्ञापन
This Article is From Aug 14, 2023

आजादी के 75 वर्ष बाद भी चरखे से बनाई जा रही साड़ियां, परंपरा जिंदबाद, मगर कारीगरों की स्थिति नाजुक

आजादी के 75 साल बाद भी जहां आधुनिकता ने अपना रूप ले लिया है वही इस गांव के लोग उसी पुरानी परंपरा को बनाए रखे हैं

आजादी के 75 वर्ष बाद भी चरखे से बनाई जा रही साड़ियां, परंपरा जिंदबाद, मगर कारीगरों की स्थिति नाजुक

बालाघाट जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर ग्राम मेहंदीवाडा में आज भी चरखे के द्वारा साड़ियां बनाई जाती हैं. इस कार्य में लगे कुछ परिवार जिनका पैतृक कार्य साड़ी बनाना ही है. वह चरखे के द्वारा हैंडलूम साड़ियां बनाते हैं जो चंदेरी नाम से जानी जाती है.

आजादी के 75 साल बाद भी जहां आधुनिकता ने अपना रूप ले लिया है वही इस गांव के लोग उसी पुरानी परंपरा को बनाए रखे हैं. जिस तरह इनकी आर्थिक हालत पूर्व में थी वह आज भी यथावत है. 2-3  दिन  में बमुश्किल एक साड़ी बनाना इनका मूल मकसद है और यही इनके उधर पोषण का जरिया है.

u6udn1fo

आपको बता दें कि इन कारीगरों की आज भी माली हालत  20 वर्ष पूर्व जैसी ही है इनके पीढ़ी दर पीढ़ी आज यही काम करती आ रही है किंतु इनकी माली हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है. करीब 2 से 3 दिनों में एक साड़ी बनाकर यह अपना उधर पोषण करते हैं. जानकारी देते हुए कारीगरों ने बताया की कड़ी मेहनत के बाद और धागों की बढ़ती कीमतों के आगे वह नतमस्तक हो गए हैं एवं खाने खाने को मजबूर है.

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close