-
ब्लॉग राइटर
ब्लॉग राइटर
-
अभासी दुनिया में कितने दूर कितने पास! 'अपनों' की है तलाश
फेसबुक सब रेडीमेड देता है, आपको बस क्लिक करके दोस्ती निभा लेनी है. और शाम तक चार-पांच सौ बधाइयों के बाद हम फूलकर कुप्पा हो जाते हैं कि क्या सचमुच मेरे इतने दोस्त हैं, जो मेरे सुख-दुख में खड़े हो सकते हैं.
-
Array
(
[written_by] =>
[reported_by] =>
[authored_by] =>
[translators] =>
[interview] =>
[by_line] => Array
(
[id] => 10541
[byline] => Rakesh Kumar Malviya
[designation] =>
[info] =>
[by_line_info] => Array
(
[1] => Array
(
[key] => description
[value] =>
)
[2] => Array
(
[key] => twitter
[value] =>
)
[3] => Array
(
[key] => website
[value] =>
)
[4] => Array
(
[key] => facebook
[value] =>
)
[6] => Array
(
[key] => hindiname
[value] => राकेश कुमार मालवीय
)
[7] => Array
(
[key] => hindidesignation
[value] =>
)
[8] => Array
(
[key] => hindidescription
[value] => पिछले 13 साल से पत्रकारिता, लेखन और संपादन से जुड़े हैं. वंचित और हाशिये के समाज के सरोकारों को करीब से महसूस करते हैं. ग्राउंड रिपोर्टिंग पर फोकस. सामाजिक सरोकारों पर लेखन के लिए नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया नेशनल अवार्ड, रीच मीडिया फैलोशिप, विकास संवाद मीडिया फैलोशिप के लिए चुना गया. वर्तमान में भोपाल में रहकर लेखन, रिसर्च, मीडिया एडवोकेसी के काम से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं.
)
)
[hindiname] => राकेश कुमार मालवीय
)
[source_detail] => Array
(
[id] => 1
[source] => NDTV
[designation] =>
[info] =>
[source_info] => Array
(
[1] => Array
(
[key] => description
[value] =>
)
[2] => Array
(
[key] => twitter
[value] =>
)
[3] => Array
(
[key] => website
[value] =>
)
[4] => Array
(
[key] => facebook
[value] =>
)
[6] => Array
(
[key] => hindiname
[value] => NDTV
)
[7] => Array
(
[key] => hindidesignation
[value] =>
)
[8] => Array
(
[key] => hindidescription
[value] =>
)
[9] => Array
(
[key] => thumbnail
[value] =>
)
)
[hindiname] => NDTV
)
)
- राकेश कुमार मालवीय
- सितंबर 13, 2024 15:11 pm IST
-
अब ऐसा न कहें कि गृहिणी कुछ नहीं करती!
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है कि यदि एक हाउसवाइफ के काम की गणना की जाए तो उसका योगदान अनमोल है. इस बात को नारीवादी संगठन और जागरुक लोग लंबे समय से कहते रहे हैं, लेकिन समाज में घरेलू महिलाओं के काम का यह नैरेटिव सदियों से है कि वह तो बस घर संभालती है, कुछ नहीं करती. यहां तक कि यह नैरेटिव इतना ज्यादा प्रभावी है कि खुद महिलाओं को ही इस बात का आभास नहीं है कि यदि उनके श्रम को तौला जाए तो उनका योगदान कहां जाकर ठहरता है.
-
Array
(
[written_by] =>
[reported_by] =>
[authored_by] =>
[translators] =>
[interview] =>
[by_line] => Array
(
[byline] => Rakesh Kumar Malviya
[designation] =>
[info] =>
[by_line_info] => Array
(
[1] => Array
(
[key] => description
[value] =>
)
[2] => Array
(
[key] => twitter
[value] =>
)
[3] => Array
(
[key] => website
[value] =>
)
[4] => Array
(
[key] => facebook
[value] =>
)
[6] => Array
(
[key] => hindiname
[value] => राकेश कुमार मालवीय
)
[7] => Array
(
[key] => hindidesignation
[value] =>
)
[8] => Array
(
[key] => hindidescription
[value] => पिछले 13 साल से पत्रकारिता, लेखन और संपादन से जुड़े हैं. वंचित और हाशिये के समाज के सरोकारों को करीब से महसूस करते हैं. ग्राउंड रिपोर्टिंग पर फोकस. सामाजिक सरोकारों पर लेखन के लिए नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया नेशनल अवार्ड, रीच मीडिया फैलोशिप, विकास संवाद मीडिया फैलोशिप के लिए चुना गया. वर्तमान में भोपाल में रहकर लेखन, रिसर्च, मीडिया एडवोकेसी के काम से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं.
)
)
[hindiname] => राकेश कुमार मालवीय
)
[source_detail] => Array
(
[source] => NDTV
[designation] =>
[info] =>
[source_info] => Array
(
[1] => Array
(
[key] => description
[value] =>
)
[2] => Array
(
[key] => twitter
[value] =>
)
[3] => Array
(
[key] => website
[value] =>
)
[4] => Array
(
[key] => facebook
[value] =>
)
[6] => Array
(
[key] => hindiname
[value] => NDTV
)
[7] => Array
(
[key] => hindidesignation
[value] =>
)
[8] => Array
(
[key] => hindidescription
[value] =>
)
[9] => Array
(
[key] => thumbnail
[value] =>
)
)
[hindiname] => NDTV
)
)
- राकेश कुमार मालवीय
- फ़रवरी 20, 2024 17:31 pm IST