CG Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के लिए कांग्रेस की बहुप्रतीक्षित दूसरी सूची (Secyond list of Congress) आखिरकार 18 अक्टूबर को जारी हो गई. बीते 5 सालों में सीएम की कुर्सी समेत तमाम उठापटक व नाराजगी के बीच भले ही डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव (TS Singhdev)की नहीं चली. लेकिन, टिकट वितरण में वे सरताज बन गए.समूचे सरगुजा संभाग (Surguja Division) में उनकी चली और सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) गुट के माने जाने वाले एक पूर्व मंत्री समेत कई विधायकों के टिकट कट गए.और तो और, जगदलपुर के रूप में बस्तर की इकलौती जनरल सीट पर भी उनके ही पसंदीदा उम्मीदवार जतिन जायसवाल को टिकट मिला है.
सरगुजा संभाग की 14 सीटों में डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव उर्फ बाबा का प्रभाव रहा है. हालांकि कुछ सीटों पर सीएम बघेल के समर्थक माने जाने वाले नेताओं को टिकट मिला था और वे विधायक भी चुने गए थे. लेकिन, इस बार टिकट वितरण में टीएस सिंहदेव की ही चली.नतीजा ये हुआ कि पूर्व मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम तक का पत्ता कट गया है. उनकी जगह प्रतापपुर से राजकुमारी मंडावी को टिकट मिला है.
गंभीर आरोप लगाने वाले बृहस्पत भी निपटे
इस लिस्ट में सरगुजा संभाग के चर्चित विधायक बृहस्पत सिंह का भी नाम है. ये वे विधायक हैं, जिन्होंने बाबा के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया था. जान से मरवाने की कोशिश करने का आरोप तक लगा चुके थे. विधानसभा तक में सिंहदेव के खिलाफ मुखर रहने वाले बृहस्पत सिंह तक का पत्ता कट चुका है. उनकी जगह अंबिकापुर नगर निगम के महापौर अजय तिर्की को टिकट मिला है.
चिंता में चिंतामणि महाराज
कुछ इसी तरह का हाल चिंतामणि महाराज का भी हुआ है. सामरी सीट पर एक वक्त लरंग साय के नेतृत्व में बीजेपी का कब्जा ही हो गया था.
जगदलपुर में भी दिखाया प्रभाव
टीएस सिंहदेव का दखल महज सरगुजा संभाग में ही नहीं रहा.इस बार के टिकट वितरण में समूचे छत्तीसगढ़ में कई अहम सीटों पर भी उनकी पसंद हावी रही. इसका सबसे बड़ा उदाहरण जगदलपुर सीट रहा.यहां भी सीएम की पसंद के प्रत्याशी की जगह सिंहदेव समर्थक जगदलपुर के जितिन जायसवाल को टिकट मिला है.बिलासपुर से शैलेष पांडेय भी डिप्टी सीएम के समर्थक माने जाते हैं.
ऐसे जमाया प्रभाव
छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेताओं में से एक टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच अंदरखाने सीएम की कुर्सी को लेकर 2018 के चुनाव नतीजे के बाद से ही सबकुछ सही नहीं चल रहा था.ओबीसी समीकरण में बघेल ने बाजी मार ली. फिर ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर भी चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. सिंहदेव के लिए कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था. वहीं पांचवें साल में कांग्रेस आलाकमान की बैठक में सुलह की कोशिशें की गईं. टीएस बाबा को डिप्टी सीएम बनाया गया. वहीं अब टिकट वितरण में सिंहदेव की राय प्रभावी साबित हुई है.
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