'कोरोना योद्धाओं' का सरकार से मन भरा, घरों पर लगाए पोस्टर- बीजेपी वाले वोट मांगने न आएं

कोरोना को बीते भले ही कुछ वक्त गुजर चुका है लेकिन विधानसभा चुनाव में वो फिर से मुद्दा बनकर लौटा है. ताजा मामला बड़वानी का है. यहां GNM के पद पर कार्य करने वाली दो महिलाओं ने अपने घर के बाहर बोर्ड लगा दिया है. जिसमें लिखा है- ये कोरोना योद्धा का घर है, बीजेपी वाले वोट मांगने न आएं.

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Madhya Pradesh Assembly Elections 2023: कोरोना को बीते भले ही कुछ वक्त गुजर चुका है लेकिन विधानसभा चुनाव में वो फिर से मुद्दा बनकर लौटा है. ताजा मामला बड़वानी (Barwani)का है. यहां GNM के पद पर कार्य करने वाली दो महिलाओं ने अपने घर के बाहर बोर्ड लगा दिया है. जिसमें लिखा है- ये कोरोना योद्धा (Corona warriors) का घर है, बीजेपी वाले वोट मांगने न आएं. ये पोस्टर्स शहर में चर्चा का विषय बन रहा है.
दरअसल कोरोना काल में प्राइवेट सेक्टर से कई स्वास्थ्य कर्मियों को शासन के द्वारा कोरोना मरीजों की सेवा के लिए अस्पतालों में बुलाया गया था. इस दौरान उनकी सेवाएं बड़े पैमाने पर ली गईं और उनका सम्मान भी किया गया. फूल बरसाने के साथ-साथ सम्मान पत्र भी दिया गया. सरकार ने उन्हें कोरोना योद्धा की संज्ञा दी. लेकिन कोरोना काबू में आने के बाद ये कोरोना योद्धा कहीं के नहीं रहे. एक तो प्राइवेट अस्पतालों (private hospitals) में उनकी नौकरी गई और दूसरे सरकार उन्हें नौकरी पर रखने को तैयार नहीं है.

सरकार का कहना है बजट की कमी की वजह से वे उन्हें नौकरी देने में असमर्थ हैं. अब कोरोना योद्धाओं का कहना है कि सरकार ने उन्हें दूध में मक्खी की तरह निकाल कर फेंका है.  GNM के पद पर पदस्थ स्मृति मसीह ने बताया कि हम लोगों को कोरोना कल में सेवा लेने के बाद निकाल दिया गया.

अब हम भारी आर्थिक संकट में हैं. हमारे जैसे लगभग 8000 लोगों को निकाला गया है. पहले जब मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होता था तो हमारा सम्मान किया जाता था. जब हम नौकरी की मांग करते थे तो सरकार ने तब आश्वासन दिया था. लेकिन अब यही सरकार बजट का हवाला दे रही है. इसलिए हमने मजबूरी में ये पोस्टर चिपकाया है. बीजेपी की परेशानी ये है कि यदि ऐसे पोस्टरों की संख्या बढ़ी तो उसके लिए चुनावों में मुश्किल हो सकती है, हालांकि कांग्रेसी नेता भी इनका हालचाल लेने नहीं आ रहे हैं. 

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