राजनीति में 'परिवारवाद' : ये मध्यप्रदेश है जनाब ! यहां सभी के दामन पर 'दाग' है

मध्यप्रदेश की सियासत भी गजब है. यहां सभी दलों के नेता परिवारवाद के खिलाफ तो जमकर बोलते हैं लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि राज्य में सभी बड़े दल परिवारवाद को पालते-पोसते हैं. बीजेपी की चार लिस्ट सामने आई है. जिसमें कुछ ऐसा ही दिखता है. कांग्रेस की फिलहाल कोई लिस्ट नहीं आई है.

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Madhya Pradesh Assembly Elections: परिवारवाद का मुद्दा दशकों ने मध्यप्रदेश की राजनीति पर हावी रहा है. खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी इस पर वार करते नहीं थकते...दूसरी तरफ कांग्रेस भी दावा करती है कि उसकी पार्टी में कम और बीजेपी में ज्यादा परिवारवाद है.फिलहाल तो बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की चार लिस्ट जारी की है जिसमें परिवारवाद की झलक साफ देखने को मिल रही है. इसमें कई दिग्गज नेताओं के परिवार जनों को पार्टी ने टिकट दिया गया है. यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि विपक्षी दल कांग्रेस ने अब तक एक भी लिस्ट नहीं जारी की है. 

देखा जाए तो बीजेपी अक्सर भाई-भतीजावाद को लेकर मुखर रहती है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में जब कार्यकर्त्ता महाकुम्भ में राजधानी भोपाल पहुंचे थे तब उन्होंने अपने भाषण में परिवारवाद और कांग्रेस पर जमकर हमला किया था.लेकिन हकीकत में मध्य प्रदेश में स्थिति बिलकुल उलट नज़र आ रही है.आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने 136 उमीदवार घोषित किए हैं. इनमें कई राजनितिक सफर वाले परिवार के लोगों को भी टिकट दिए गया है.जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों (former chief ministers) के परिवार वाले भी शामिल हैं. 

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बीजेपी से टिकट पाने में नेता पुत्री और नेता पत्नी भी पीछे नहीं हैं.पेटलावाद से दिलीप भूरिया (Dilip Bhuria) की बेटी निर्मला भूरिया को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. साथ ही बीजेपी ने 5 नेता पत्नी को भी टिकट दिया है.पार्टी ने दिवंगत पूर्व मंत्री लक्ष्मण गौर की पत्नी मालिनी गौर को भी इंदौर से प्रत्याशी बनाया गया है. इसके बावजूद बीजेपी  नेता परिवारवाद को लेकर पार्टी गाइडलाइन की बात को ही दोहराते हुए नजर आते हैं. मसलन-

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प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी वीडी शर्मा (VD Sharma) ने परिवारवाद को लेकर दो टूक कहा की हमारे इंटरनल ऑर्गेनाइजेशन में परिवार की व्यवस्था समाप्त हो गई है.पीएम मोदी ने भारतीय राजनीति में नई संस्कृति विकसित की है.देश के अंदर भी परिवारवाद समाप्त होगा.

जो ज़मीन पर काम करते हैं वे ही समाज में नेतृत्व करेंगे. यहां किसी का बेटा होना योग्यता नहीं है लेकिन किसी का बेटा कार्यकर्ता है और वो काम कर रहा है तो वो उसका अपराध नहीं है. शर्मा के इस बयान के बाद राजनितिक हलचल काफी तेज़ हो गयी है. क्योंकि बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं के युवराज अभी भी लाइन में खड़े हुए है और अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे है 

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इंदौर से इस बार आकाश विजयवर्गीय का टिकट होल्ड कर उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय को दे दिया गया है. यदि पार्टी उन्हें अंत तक टिकट नहीं देती है तो फिर इन युवराजों का भी इंतज़ार और लंबा हो जायेगा.  

वैसे अब तक की  सूची देखकर यदि कांग्रेस अपने दामन को साफ बताएगी तो ये भी ज्यादती ही कही जाएगी. कांग्रेस में भी कई नेता पुत्र हैं जो पहले से सांसद और विधायक हैं. 

हालांकि इसके बीच कांग्रेस का कहना है की बीजेपी परिवारवाद में ज़्यादा लिप्त है ,और कांग्रेस के नेताओं का जनता से डायरेक्ट कनेक्शन है. कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी में गुटबाज़ी और परिवारवाद चरम पर है.यहां सब बस आपस में लड़ रहे हैं और पार्टी में किसी का कोई भला नहीं होने वाला.जनता बीजेपी से परेशान हो चुकी है और आने वाले समय में वो कांग्रेस पार्टी पर ही भरोसा जताएगी. 

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