कांग्रेस की चुनाव आयोग से मांग- दो बार एक्सटेंशन ले चुके शिवराज के मुख्य सचिव को हटाएं

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के तुरंत बाद कांग्रेस ने प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को हटाने की मांग की है. कांग्रेस का तर्क है कि दो बार से एक्सटेंशन लेकर बैठे मुख्य सचिव इकबाल सिंह के रहते निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव संभव नहीं है. जिस पर भाजप ने भी पलटवार किया है.

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Madhya Pradesh assembly elections: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के तुरंत बाद कांग्रेस ने प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस (Chief Secretary Iqbal Singh Bais) को हटाने की मांग की है. प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के.मिश्रा (K.K.Mishra) ने चुनाव आयोग को बकायदा पत्र लिखकर ये मांग की है. केके मिश्रा का कहना है कि  दो बार से एक्सटेंशन लेकर बैठे मुख्य सचिव इकबाल सिंह के रहते निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव संभव नहीं है. 
मिश्रा ने तर्क दिया है कि बैंस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) के बेहद करीबी अधिकारी हैं. वे मुख्यमंत्री के सचिव और प्रमुख सचिव भी रहें हैं. चुनाव में वे बतौर मुख्य सचिव प्रदेश के जिलों के कलेक्टर की गोपनीय चरित्रावली यानी सीआर भी लिखेंगे. इसलिए इस बात की पूरी आशंका है कि वे कलेक्टर्स, बैंस के इशारे पर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में ही काम कर सकते हैं. जिले के कलेक्टर्स के सामने में इकबाल सिंह बैस के निर्देश पर काम करने के अलावा कोई चारा नहीं होगा. लिहाजा उन्हें पद से हटा दिया जाना चाहिए.

मिश्रा ने आयोग से कहा कि खुद आयोग ने अपने दिशा-निर्देशों में साफ तौर पर कहा है कि चुनाव संबन्धी कार्यों में संविदा या एक्सटेन्शन वाले किसी भी अधिकारी कर्मचारी को नहीं लगाया जाएगा. लिहाजा बैस को हटाया जाना जरूरी हो जाता है.

इसके अलावा मुख्य सचिव ने अपने बेटे अमनबीर सिंह (Amanbir Singh) को भी लगभग पौने तीन साल से बैतूल जिले का कलेक्टर बनाया हुआ है. उन्हें भी तत्काल जिले से हटाया जाना चाहिए. 
दूसरी तरफ  इस मामले पर भाजपा ने भी पलटवार किया है. भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि कांग्रेस नेताओं के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वो मुख्य सचिव का मुद्दा बना रही है. वैसे कांग्रेस को यह याद रखना चाहिए इसी तरह का मुद्दा उसने पिछले चुनाव में भी उठाया था. चुनाव के ऐलान के बाद इस तरह की शिकायतें आम हैं. कांग्रेस इसकी आड़ में वसूली का खेल चलाती है. 

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