इजरायल और आतंकी संगठन हमास (Israel Hamas War) के बीच चौथे दिन भी युद्ध जारी है. युद्ध के बीच इजरायली सेना (Israel Army) ने दावा किया कि उसे गाजा पट्टी के आसपास 1,500 हमास आतंकियों के शव मिले हैं. सेना ने कहा कि हमास (Hamas) के खिलाफ अभियान में गाजा की संसद और मंत्रालय उसके निशाने पर हैं. वहीं इजरायल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. अब तक दोनों तरफ के 1600 लोग मारे जा चुके हैं. वहीं अगर बात इजरायल की करें तो हमलों में 900 के करीब आम नागरिक और सैनिक मारे जा चुके हैं.
सीमा के आसपास के लोगों को हटाया गया
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि कई फिलीस्तीनी बंदूकधारी हमलावर अब भी इजरायल में मौजूद हैं. इजरायल ने गाजा के 20 से ज्यादा ठिकानों पर हमला किया है. वहीं गाजा की तरफ से भी इजरायल पर रॉकेट से हमला जारी है. इजरायल के सैन्य प्रवक्ता रिचर्ड हेचट ने बताया, "गाजा पट्टी के आसपास इजरायल में हमास आतंकवादियों के लगभग 1,500 शव पाए गए. सुरक्षाबलों ने गाजा के साथ सीमा पर नियंत्रण कमोबेश बहाल कर लिया है. हमारी जानकारी के अनुसार कल रात से कोई भी सीमा के अंदर नहीं घुसा है, लेकिन घुसपैठ अभी भी हो सकती है." उन्होंने कहा कि सेना ने सीमा के आसपास के सभी समुदायों के लोगों को खाली कराने का काम लगभग पूरा कर लिया है.
युद्ध में 5 फिलिस्तीनी पत्रकारों की हुई मौत
वहीं दूसरी ओर फिलिस्तीनी समाचार एजेंसी वफा के अनुसार मंगलवार तड़के गाजा शहर में इजरायली हवाई हमले में दो फिलिस्तीनी पत्रकार मारे गए. वफा ने पत्रकारों की पहचान संपादक सईद अल-तवील और फोटोग्राफर मोहम्मद सोबेह के रूप में की. यह हवाई हमला मीडिया वाले इलाके के करीब हुआ. इससे पहले, शनिवार को गाजा में रिपोर्टिंग के दौरान तीन फिलिस्तीनी पत्रकारों की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई.
पत्रकारों की सुरक्षा के लिए समिति ने फिलिस्तीनी प्रेस स्वतंत्रता समूहों का हवाला देते हुए उनमें से दो की पहचान फोटोग्राफर इब्राहिम मोहम्मद लफी और रिपोर्टर मोहम्मद जारघोन के रूप में की है. इसके अलावा दो फिलिस्तीनी फोटोग्राफर, अल-नजाह चैनल से निदाल अल-वाहिदी और ऐन मीडिया एजेंसी से हैथम अब्देलवाहिद भी शनिवार से लापता बताए जा रहे हैं.
इजराइल में खौफ का कुछ ऐसा माहौल है कि सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग अपने घरों में छिपे रहने के लिए मजबूर हैं. गाजा पट्टी से करीब 10 किमी दूर एस्केलॉन में NDTV की टीम ग्राउंड जीरो पर मौजूद है. हमारी टीम पल-पल का अपडेट ले रही है और वहां के लोगों से लगातार बातचीत कर रही है. एनडीटीवी ने उस जगह पर जाने की कोशिश की जहां पर रॉकेट से हमला हुआ था और तबाही मची थी.
'लोग घर के बंकरों में छिपने को मजबूर'
एस्केलॉन की सड़कों पर माहौल का जायजा लेते हुए NDTV की टीम ने कार के भीतर ही एक स्थानीय महिला एविशाक एविनोअम के साथ बातचीत की. उन्होंने बताया कि किस तरह से त्योहारी सीजन होते हुए भी सड़कें खाली पड़ी हैं. लोग अपने घरों में सेफ प्लेस में रहने के लिए मजबूर हैं. एविशाक एविनोअम ने बताया कि 1980 के बाद जो भी घर और रिहायशी इमारतें ऐस्केलॉन में बनी हैं वहां पर सेफ प्लेस यानी कि बंकर बनाना अनिवार्य हो गया है. लगातार बढ़ते हमलों की वजह से हर घर में सेफ हाउस बनाना जरूरी कर दिया गया है. तमाम लोग फिलहाल बंकरों में छिपे हुए हैं. असुरक्षा के डर की वजह से त्योहारी मौसम में भी लोग सड़कों पर नजर नहीं आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पुराने घरों में सेफ प्लेस नहीं होता था.
त्योहारी सीजन में सड़कों पर सन्नाटा
हमारी टीम जिस सड़क से गुजर रही थी वह पूरी तरह से सुनसान दिखाई पड़ रही थी. सभी वाहन सड़कों पर पार्किंग में थे. शायद ही कोई वाहन सड़क पर चलता दिखाई दे रहा था. जबकि आमतौर पर यहां का नजारा ऐसा नहीं होता है. एविशाक एविनोअम ने बताया कि त्योहार के समय में सड़कों पर बहुत ट्रैफिक रहता है. लोग बहुत ही मजा करते हैं वह अपने परिवारों से और दोस्तों से मिलते हैं. लेकिन युद्ध के हालात को देखते हुए सभी लोग अपने घरों में बने बंकरों में छिपे हुए हैं. सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. आसमान में हर तरफ रॉकेट की गूंज सुनाई दे रही है. जिस तरह से रॉकेट से बार-बार हमला हो रहा है तो सुरक्षा कारणों से लोग बंकरों में छिपे हुए हैं. इसीलिए शहर में सन्नाटे का हाल है.
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