राजनीतिक विवाद के बीच भारतीय छात्रों ने कनाडा छोड़ा, कनाडाई मंत्री ने कहा- 86% की आई गिरावट

India Canada Conflict: बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल जून में कहा था कि ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के सबूत हैं. ट्रूडो के इस बयान के बाद भारत-कनाडा के बीच राजनयिक तनाव पैदा हो गया था.

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Indian Students Left Canada: कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी (Khalistani terrorist) की हत्या पर हुए राजनयिक विवाद (Diplomatic Dispute) के कारण भारतीय छात्रों की संख्या में 86 प्रतिशत की गिरावट आई है. कनाडा (Canada) के आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर (Immigration Minister Mark Miller) न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि भारतीय छात्रों (Indian Students) को जारी किए गए स्टडी परमिट की संख्या में पिछले साल के अंत में तेजी से गिरावट आई है. मिलर ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनका मानना है कि भारतीय छात्रों की स्टडी परमिट की संख्या जल्द ही बढ़ने की संभावना नहीं है.

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल जून में कहा था कि ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के सबूत हैं. ट्रूडो के इस बयान के बाद भारत-कनाडा के बीच राजनयिक तनाव पैदा हो गया था. जिसके बाद अक्टूबर में भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों या अपने दो-तिहाई कर्मचारियों को भारत से बाहर निकालने के आदेश दिए थे.

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कनाडा में भारतीय छात्रों का सबसे बड़ा समूह

मिलर ने कहा कि तनाव का असर आगे चलकर संख्या पर पड़ने की संभावना है. उन्होंने कहा, "भारत के साथ हमारे संबंधों ने वास्तव में भारत से कई आवेदनों को प्रोसेस करने की हमारी क्षमता को आधा कर दिया है." इसके साथ ही मंत्री के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस विवाद ने भारतीय छात्रों को दूसरे देशों में पढ़ने के लिए प्रेरित किया है.

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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में भारतीयों को जारी किए गए स्टडी परमिट में पिछली तिमाही की तुलना में 86% की गिरावट आई, जो 108,940 से घटकर 14,910 रह गई. ओटावा में भारतीय उच्चायोग के परामर्शदाता सी. गुरुस उब्रमण्यम ने कहा कि कुछ भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्र कुछ कनाडाई संस्थानों में हाल ही में आवासीय और पर्याप्त शिक्षण सुविधाओं की कमी के चलते कनाडा के अलावा अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे थे. बता दें कि हाल के वर्षों में भारतीयों ने कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा समूह बनाया है, 2022 में 41% से अधिक या 225,835 सभी परमिट उन्हें मिले.

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कनाडाई विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों से सालाना लगभग 22 बिलियन कनाडाई डॉलर (16.4 बिलियन डॉलर) की कमाई करते हैं और यह मंदी संस्थानों के लिए एक झटका होगा.

कनाडा में आवास की कमी

कनाडाई सरकार भी आवास की कमी के चलते देश में प्रवेश करने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की कुल संख्या को कम करने की मांग कर रही है. मिलर ने कहा, "अभी हमारे सामने बड़ी संख्या में आने वाले छात्रों की चुनौती है. यह नियंत्रण से बाहर हो गया है और इसे कम करने की आवश्यकता है." मिलर ने कहा कि सरकार इस साल की पहली छमाही के दौरान अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या कम करने के लिए संभावित सीमा सहित अन्य उपाय करेगी.

उन्होंने कहा, सरकार का इरादा पोस्ट ग्रैजुएट वर्क परमिट के लिए एक बहुत ही उदार कार्यक्रम शुरू करना और नामी शिक्षण संस्थान कहे जाने वाले "फ्लाई-बाय-नाइट" विश्वविद्यालयों पर नकेल कसने का है. बता दें कि कनाडा में कोर्स खत्म करने के बाद वर्क परमिट प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान है, इसलिए यह अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन है.

सरकार पहले से ही अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए कैंपस के बाहर काम के घंटों की संख्या पर अंकुश लगाने की योजना बना रही है, जिससे खाद्य सेवा और खुदरा उद्योगों को श्रम की कमी होने का डर है.

पिछले साल 40% छात्र भारतीय

2023 में, सरकार ने अनुमान लगाया कि उस वर्ष लगभग 900,000 अंतर्राष्ट्रीय छात्र कनाडा में पढ़ेंगे, जो एक दशक पहले की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है. मिलर ने कहा कि उनमें से 40% छात्र या लगभग 360,000 भारतीय थे. भारतीय छात्रों को दिए जाने वाले परमिट की संख्या में पिछले साल 4% की गिरावट आई, लेकिन वे सबसे बड़ा समूह बने रहे.

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