Syria HTS: सीरिया के इस्लामी विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने राष्ट्रपति बशर अल-असद (Bashar Al Asad) के शासन के पतन और दमिश्क पर कब्जे की घोषणा कर दी है. इस घटनाक्रम के बाद इसके नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी (Abu Muhammad Al Julani) की पहचान और भूमिका पर चर्चा तेज हो गई है. जुलानी का असली नाम अहमद हुसैन अल-शरा है. वह "अबू मुहम्मद अल-गोलानी" (Abu Muhammad al-Golani) के नाम से भी जाना जाता है. जुलानी ने अपने करियर की शुरुआत इराक में अल-कायदा (Al Qaeda) के साथ की थी.
ऐसा है जुलानी का सफरनामा
बाद में अल-कायदा के नेता अयमान अल-जवाहिरी के प्रति निष्ठा की शपथ ली. 2012 में जुलानी ने अल-नुसरा फ्रंट के नाम से संगठन बनाया और असद सरकार को उखाड़ फेंकने की कसम खाई. इसके बाद जुलानी के नेतृत्व में अल-नुसरा फ्रंट ने समय के साथ खुद को बदला. 2016 में संगठन का नाम बदलकर "जबात फतह अल-शाम" रखा गया. फिर 2017 में इसे अन्य कट्टरपंथी गुटों के साथ मिलाकर हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) का गठन किया. एचटीएस अब सीरिया के सबसे प्रभावशाली विद्रोही समूहों में से एक है और इसका नियंत्रण सीधे जुलानी के हाथों में है.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध और इनाम
अबू मोहम्मद अल-जुलानी को 2013 में अमेरिकी विदेश विभाग ने "स्पेशल डिजाइंड ग्लोबल टेररिस्ट" घोषित किया था. इसके साथ ही जुलानी पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा गया. 2013 में ङी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उसे प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में शामिल कर दिया.
असद शासन के खिलाफ विद्रोह और जीत
27 नवंबर 2024 को एचटीएस ने एक बड़े ऑपरेशन का नेतृत्व करते हुए अलेप्पो और हामा जैसे प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया. इसके बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और देखते ही देखते दमिश्क पर कब्जा करके असद शासन का पतन कर दिया. दरअसल, असद की सेना युद्ध से कमजोर हो चुकी थी और उसके कई सैनिक लड़ने को तैयार नहीं थे. रूस, ईरान और हिजबुल्लाह जैसे सहयोगी इस बार सहायता प्रदान नहीं कर सके, क्योंकि वे अपने संघर्षों में उलझे हुए थे.
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सीरिया में एक नया अध्याय
जुलानी ने अब एक 'नए युग की शुरुआत' की घोषणा की है. एचटीएस ने इस सफलता के साथ सीरिया में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. असद शासन का पतन रूस और ईरान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अब जुलानी का अगला कदम क्या होगा. अब देखने वाली बात ये होगी कि वह अपनी सत्ता को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करता है, या फिर वह अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सुरक्षा में नई चुनौतियां पेश करता है. इस्लामी विद्रोहियों के हाथों में सीरिया के जाने बाद से इसके भविष्य को लेकर दुनिया भर में अनिश्चितता और चिंताएं बनी हुई हैं.
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