इंदौर (Indore) नगर निगम (Municipal council) के अधिकारी और नेता बड़ी होशियारी के साथ स्वच्छ सर्वेक्षण करने आए लोगों को उन जगहों पर ले जाते हैं, जहां पर इंदौर नगर निगम ने मील के पत्थर लगाए हुए हैं. अपनी सफलता को बताने वाले नगर निगम के अधिकारी इस बात को कब समझेंगे कि इंदौर को अभी भी पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है. महंगा पानी पीने में इंदौर एशिया में सबसे आगे हैं. ये बात खुद इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव कह चुके हैं, लेकिन क्या वाकई में इस महंगे पानी में शुद्धता की जांच-परख की जाती है? अगर ऐसा होता तो शायद उन अनाथ आश्रम के बच्चों की मौत नहीं होती, जो आज हैजा के कारण काल के गाल में असमय समा गए. इंदौर में अनाथ बच्चों की हैजा से मौत होने के बाद इंदौर कलेक्टर ने शहर के अलग-अलग आश्रम, स्कूल, हॉस्टल और होटल में पानी के सैंपल लेने के आदेश दिए थे. महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की टीम ने इन सभी जगह के सैंपल लिए और बताया कि करीब 56 जगह में से 44 जगह ऐसी है, जहां पानी पीने के योग्य ही नहीं है और ये वो जगह है, जहां पर ड्रेनेज का पानी, पीने के पानी में मिल रहा है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट.