आजादी के 75 साल पूर्ण होने की बेला में देश में गिनती के ही स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी जीवित बचे हैं.
जिन्होंने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था. उन्हीं में से एक हैं जबलपुर के कोमलचंद जैन.
करीब 90 वर्ष की आयु में भी कोमलचंद जैन की धुंधली यादों में आजादी की लड़ाई का आंदोलन जीवंत है.
कोमलचंद जैन ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि किस तरह गांधी जी ने 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' और 'करो या मरो' के दो नारे दिए थे, जिसके बाद वे अपने घर को छोड़कर आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने सड़कों पर उतर आए थे. अगस्त 1942 में उन्हें 28 दिन कारावास में गुजारने पड़े थे.