Jaspur News : Dates की पत्तियों से Tribal Women की हो रही अच्छी कमाई

छत्तीसगढ़ के जशपुर (Jaspur) की आदिवासी महिलाएं अब खजूर की पत्तियों से आकर्षक उत्पाद जैसे कि टोकरी, बैग और टोपी तैयार कर रही हैं. इन उत्पादों की मांग अब न केवल प्रदेश में बल्कि महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु जैसे राज्यों के महानगरों में भी तेजी से बढ़ रही है. महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित यह हस्तशिल्प उत्पाद उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है और आर्थिक रूप से सशक्त भी कर रहा है. जशपुर जिले के दूरस्थ अंचलों की महिलाओं के द्वारा छिंद कांसा से बनाई हुई टोकरी एवं अन्य उत्पाद काफी टिकाऊ एवं मनमोहक हैं. यह मूलतः जशपुर जिले के काँसाबेल विकासखण्ड की कोटनपानी स्व सहायता समूह की दीदियों द्वारा बनाया जा रहा है और अच्छी आमदनी प्राप्त की जा रही है. चूकि यह अभ्यास लगभग 30 साल पुराना है परंतु इसमे उद्यमिता की छाप राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन तत्पश्चात छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प बोर्ड के प्रयास से संभव हो सका है. वर्तमान में लगभग 90 महिलाएं इस उद्योग में जुड़ी हैं और सतत् रूप से उत्पादन एवं विक्रय कार्य में लगी हुई है. आकर्षक एवं सुन्दर छिंद कांसा की टोकरी होने की वजह से जिले में और राज्य के कोने-कोने से इसकी मांग बनी रहती है.

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