4 साल पहले मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में महुआ से बनी शराब को हेरिटेज शराब का दर्जा मिला. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था सरकार आदिवासियों को महुआ शराब खुद बनाने और बेचने के लिए भी परमिशन देगी . जानकारों ने इसे अच्छी पहल बताया लेकिन इसे अमल में लाने में लापरवाही हुई..न तो इसके विपणन का सही से इंतजाम किया गया और न ही इसका प्रचार ही किया गया. नतीजा ये हुआ कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद योजना अधर में हैं. इसमें लगे मजदूर गुजरात पलायन कर गए. जो हेरिटज शराब बनी वो भी सड़ने लगी...आदिवासियों की किस्मत बदलने के लिए बनी ये योजना क्यों फ्लॉप हुई इसी पर NDTV ने की ग्राउंड रिपोर्ट