बारिश थम गई है, लेकिन शिप्रा किनारे बर्बादी की जो तस्वीर उभर रही है, वो किसी के भी दिल को चीर दे. कल तक जो घाट श्रद्धालुओं की आस्था से गूंजते थे, आज वही घाट कीचड़ और मलबे से सराबोर हैं. मंदिरों के आंगन में जहां सुबह-सुबह घंटियां बजा करती थीं, वहां अब पानी के उतरने के बाद चुप्पी और टूटी मूर्तियों की कराह सुनाई दे रही है. गुरुवार रात हुई मूसलाधार बारिश ने शहर का नक्शा ही बदल दिया. शिप्रा नदी उफान पर आई, घाटों पर खड़े मंदिर जलमग्न हो गए, और नदी खतरे के निशान तक पहुंच गई. ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर की गौशाला पूरी तरह उजड़ गई. दीवारें ध्वस्त, शेड टूटे हुए और मवेशियों का सामान पानी में बह गया. महंत पीर महावीर नाथ की आंखों में नमी थी, जब उन्होंने कहा- “पानी उतर गया, लेकिन हमारी गोशाला भी बहा ले गया.”