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रोज़गार की तलाश में 15 वर्ष भटके, घरवालों ने मृत समझ किया अंतिम संस्कार, अब लौट के बैगा घर को आए
- Wednesday January 24, 2024
- Reported by: रुपेश श्रीवास्तव, Written by: अजय कुमार पटेल
MP News: बैगा परिवार से आने वाले बिरिजलाल पढ़े-लिखे नहीं है. वे रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे. बृजलाल ने बताया कि वह भटकते-भटकते केरल पहुंच गए थे, वहां उन्होंने सुपारी के खेत में काम किया. इसके अलावा नारियल पानी बेचा. वहीं ये काम करने के बाद हावड़ा से मसूरी और दिल्ली जैसे शहरों तक पहुंच गया. जब वह झारखंड के जमशेदपुर पहुंचा तब वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनसे पूछताछ करके अपने संगठन में रखा. उसके बाद बिरिजलाल ने जो पता बताया उसके आधार पर समाजसेवियों द्वारा उन्हें बालाघाट लाया गया.
- mpcg.ndtv.in
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रोज़गार की तलाश में 15 वर्ष भटके, घरवालों ने मृत समझ किया अंतिम संस्कार, अब लौट के बैगा घर को आए
- Wednesday January 24, 2024
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MP News: बैगा परिवार से आने वाले बिरिजलाल पढ़े-लिखे नहीं है. वे रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे. बृजलाल ने बताया कि वह भटकते-भटकते केरल पहुंच गए थे, वहां उन्होंने सुपारी के खेत में काम किया. इसके अलावा नारियल पानी बेचा. वहीं ये काम करने के बाद हावड़ा से मसूरी और दिल्ली जैसे शहरों तक पहुंच गया. जब वह झारखंड के जमशेदपुर पहुंचा तब वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनसे पूछताछ करके अपने संगठन में रखा. उसके बाद बिरिजलाल ने जो पता बताया उसके आधार पर समाजसेवियों द्वारा उन्हें बालाघाट लाया गया.
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