Rakesh Kumar Malviya
- सब
- ख़बरें
-
अभासी दुनिया में कितने दूर कितने पास! 'अपनों' की है तलाश
- Friday September 13, 2024
- Rakesh Kumar Malviya
फेसबुक सब रेडीमेड देता है, आपको बस क्लिक करके दोस्ती निभा लेनी है. और शाम तक चार-पांच सौ बधाइयों के बाद हम फूलकर कुप्पा हो जाते हैं कि क्या सचमुच मेरे इतने दोस्त हैं, जो मेरे सुख-दुख में खड़े हो सकते हैं.
-
mpcg.ndtv.in
-
अब ऐसा न कहें कि गृहिणी कुछ नहीं करती!
- Tuesday February 20, 2024
- Rakesh Kumar Malviya
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है कि यदि एक हाउसवाइफ के काम की गणना की जाए तो उसका योगदान अनमोल है. इस बात को नारीवादी संगठन और जागरुक लोग लंबे समय से कहते रहे हैं, लेकिन समाज में घरेलू महिलाओं के काम का यह नैरेटिव सदियों से है कि वह तो बस घर संभालती है, कुछ नहीं करती. यहां तक कि यह नैरेटिव इतना ज्यादा प्रभावी है कि खुद महिलाओं को ही इस बात का आभास नहीं है कि यदि उनके श्रम को तौला जाए तो उनका योगदान कहां जाकर ठहरता है.
-
mpcg.ndtv.in
-
भोपाल में फिर चल गया रंग विदूषक का ‘तुक्का’
- Sunday August 27, 2023
- Rakesh Kumar Malviya
हम भले ही वैश्विक दुनिया में आज जी रहे हों लेकिन स्थानीयता का रस हमेशा हमें गुदगुदाता रहेगा। तुक्के पे तुक्का नाटक फिर से इसी एक बात को स्थापित करता है. भाषा, किरदार, कलाकारों की नाम, दैहिक गतिविधियों का प्रयोग और उपमाएं देख-सुनकर लगता है कि हमारे ही आसपास का किस्सा तो चल रहा है.
-
mpcg.ndtv.in
-
अभासी दुनिया में कितने दूर कितने पास! 'अपनों' की है तलाश
- Friday September 13, 2024
- Rakesh Kumar Malviya
फेसबुक सब रेडीमेड देता है, आपको बस क्लिक करके दोस्ती निभा लेनी है. और शाम तक चार-पांच सौ बधाइयों के बाद हम फूलकर कुप्पा हो जाते हैं कि क्या सचमुच मेरे इतने दोस्त हैं, जो मेरे सुख-दुख में खड़े हो सकते हैं.
-
mpcg.ndtv.in
-
अब ऐसा न कहें कि गृहिणी कुछ नहीं करती!
- Tuesday February 20, 2024
- Rakesh Kumar Malviya
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है कि यदि एक हाउसवाइफ के काम की गणना की जाए तो उसका योगदान अनमोल है. इस बात को नारीवादी संगठन और जागरुक लोग लंबे समय से कहते रहे हैं, लेकिन समाज में घरेलू महिलाओं के काम का यह नैरेटिव सदियों से है कि वह तो बस घर संभालती है, कुछ नहीं करती. यहां तक कि यह नैरेटिव इतना ज्यादा प्रभावी है कि खुद महिलाओं को ही इस बात का आभास नहीं है कि यदि उनके श्रम को तौला जाए तो उनका योगदान कहां जाकर ठहरता है.
-
mpcg.ndtv.in
-
भोपाल में फिर चल गया रंग विदूषक का ‘तुक्का’
- Sunday August 27, 2023
- Rakesh Kumar Malviya
हम भले ही वैश्विक दुनिया में आज जी रहे हों लेकिन स्थानीयता का रस हमेशा हमें गुदगुदाता रहेगा। तुक्के पे तुक्का नाटक फिर से इसी एक बात को स्थापित करता है. भाषा, किरदार, कलाकारों की नाम, दैहिक गतिविधियों का प्रयोग और उपमाएं देख-सुनकर लगता है कि हमारे ही आसपास का किस्सा तो चल रहा है.
-
mpcg.ndtv.in