मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने बृहस्पतिवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अपने इस्तीफे की घोषणा की और आरोप लगाया कि पार्टी में उन्हें 'नजरअंदाज' किया गया. यहां पत्रकार वार्ता में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के नाम जारी एक पत्र में शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले रघुवंशी ने कहा कि वह पिछले कई सालों से अपने 'दर्द' के बारे में मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) और शीर्ष नेतृत्व को सूचित करते रहे हैं.
उन्होंने दावा किया, ''लेकिन उन सभी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. ग्वालियर-चंबल संभाग में मेरे जैसे पार्टी कार्यकर्ताओं को नए आए भाजपा सदस्यों द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा था. हमने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए समर्पित रूप से काम किया था.'' रघुवंशी ने आरोप लगाया कि उनके द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न करने तथा उन्हें और उनके कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए कोलारस निर्वाचन क्षेत्र में भ्रष्ट अधिकारियों को तैनात किया जा रहा है.
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उन्होंने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पहले वह किसानों की कर्ज माफी की बात करते थे लेकिन भाजपा सरकार बनने के बाद सिंधिया ने कर्ज माफी के बारे में बात तक नहीं की. रघुवंशी ने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि मंत्री और प्रशासन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. उन्होंने दावा किया कि शिवपुरी जिले के प्रभारी मंत्री ने रिश्वतखोरी को यह कहकर उचित ठहराया कि यह एक मंदिर में प्रसाद चढ़ाने जैसा है.
उनका यह भी दावा था कि यद्यपि भाजपा ने गौ माता (गाय) के नाम पर वोट मांगे लेकिन उसने उनके पोषण के लिए कुछ नहीं किया और उनके लिए बनाई गई अधिकांश गौशालाएं निष्क्रिय रहीं.
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आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर रघुवंशी ने कहा कि भाजपा में आए सभी नवनियुक्त मंत्री और विधायक पार्टी को नहीं बचा पाएंगे, वे पार्टी को डुबा देंगे और कोई उसे बचा नहीं पाएगा. इस बीच, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने एक बयान में कहा कि वीरेंद्र रघुवंशी दो सितंबर को कांग्रेस में शामिल होंगे.