ग्रामोदय विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडल पर विवाद! फेल स्टूडेंट बनी टॉपर, UGC पहुंचेगा मामला?

Satna News: बीएससी की छात्रा अंजलि सोनी अपने संकाय में दूसरे स्थान पर है, जबकि तीनों वर्ष के अंकों के आधार पर किरण तिवारी पहले स्थान पर है. फिर भी नियम के अनुसार अंजलि गोल्ड मेडल पर अपना दावा कर रही है, इसकी मुख्य वजह पदक और पुरस्कार प्रदान करने की नियमावली है.

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Madhya Pradesh News: महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (Mahatma Gandhi Chitrakoot Gramodaya University Satna) में गोल्ड मेडल (Gold Medal) अवार्ड को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. बीएससी (बायोलॉजी) की छात्रा किरण तिवारी को गोल्ड मेडल दिए जाने की तैयारियों के बीच उसकी सहपाठी छात्रा ने आपत्ति दर्ज कराने के साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) में शिकायत की चेतावनी दी है. छात्रा का आरोप है कि जिसे गोल्ड मेडल दिया जा रहा है, वह नियम के मुताबिक अपात्र है. इसके पीछे की वजह परीक्षा पास करने के लिए बैक पेपर दिए जाने को बताया जा रहा है. शिकायतकर्ता छात्रा के अनुसार किरण पहले सेमेस्टर (First Semester) की परीक्षा पास नहीं कर पाई थी. फिजिकल विषय का पेपर बैक हुआ था, जिसके बाद 300 रुपये का चालान जमा कर पुनः परीक्षा में सम्मिलित हुई. इसके बाद भी उसे गोल्ड मेडलिस्ट (Gold Medalist) बनाया जा रहा है. जबकि वह नियम के अनुसार अपात्र है.

कुल सचिव से शिकायत के बाद बनी थी कमेटी

बीएससी की छात्रा अंजली सोनी ने 7 फरवरी को इस मामले की शिकायत कुलसचिव (Registrar) से की थी. इस संबंध में छात्रा ने अपनी ओर से कुछ साक्ष्य भी प्रस्तुत किये थे. प्रकरण की जांच के लिए ग्रामोदय विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से कमेटी गठित की गई थी. इस बारे में लेटर जारी करते हुए मामले की जांच के लिए डीएसडब्ल्यू हेड, प्रोफेसर घनश्याम गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक (Examination Controller), सहायक कुल सचिव, सुरेंद्र श्रीवास्तव संबंधित पटल को दोनों छात्राओं की उपस्थिति में जांच करने को कहा गया था.  20 फरवरी को बैठक तो हुई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.

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यूजीसी और राज्यपाल के पास जाने की तैयारी में छात्रा

बीएससी की छात्रा अंजलि सोनी अपने संकाय में दूसरे स्थान पर है, जबकि तीनों वर्ष के अंकों के आधार पर किरण तिवारी पहले स्थान पर है. फिर भी नियम के अनुसार अंजलि गोल्ड मेडल पर अपना दावा कर रही है, इसकी मुख्य वजह पदक और पुरस्कार प्रदान करने की नियमावली है. सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में स्पष्ट है कि पदक के हकदार वही होंगे जिन्होंने परीक्षा प्रथम प्रयास में ही उत्तीर्ण की हो. फिलहाल छात्रा अब इस मामले को लेकर यूजीसी और राज्यपाल तक प्रकरण को ले जाने की तैयारी में है.

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