सरकारी अस्पताल में एक्सरे फिल्म का टोटा ! फोन में दी जा रही रिपोर्ट

X Ray Film Shortage in MP : जिले के एक बड़े अस्पताल में लापरवाही इस कदर हावी है कि यहां पर बीते 3 महीने से एक्सरे फिल्म की कमी पड़ गई है.... और आलम ऐसा है कि इसके चलते मरीजों के फोन में रिपोर्ट सौंपी जा रही है.

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सरकारी अस्पताल में एक्सरे फिल्म का टोटा ! फोन में दी जा रही रिपोर्ट

MP News in Hindi : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल जिला अस्पताल से हैरान करने वाला मामला सामने आया है... जो पूरे स्वास्थ्य महकमे को सवालों के घेरे में ला रहा है. दरअसल, जिले के एक बड़े अस्पताल में लापरवाही इस कदर हावी है कि यहां पर बीते 3 महीने से एक्सरे फिल्म की कमी पड़ गई है.... और आलम ऐसा है कि इसके चलते मरीजों के फोन में रिपोर्ट सौंपी जा रही है. जानकारी के लिए बता दें कि एक्सरे फिल्म एक गहरे-नीले रंग का कार्डनुमा शीट जैसी होती है जिस पर मरीज को एक्सरे रिपोर्ट दी जाती है. ये शीट इस तरह से तैयार की जाती है जिससे लाइट में इसे अच्छे से देखा जा सके और डॉक्टर रिपोर्ट को ठीक तरह से समझ सके.

एक्सरे फिल्म का अभाव

इधर, जिला अस्पताल में और ट्रामा सेंटर में मिलाकर प्रतिदिन ढाई से तीन सौ मरीजों का एक्सरे किया जाता है. इन मरीजों में पुलिस केस से जुड़े मामले भी होते हैं जिनकी MLC होकर रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करना पड़ता है. इन मामलों में कोर्ट की फटकार के बाद एक्सरे फिल्म का इस्तेमाल तो शुरू कर दिया लेकिन आम मरीजों के लिए अब तक ये सुविधा शुरू नहीं हो पाई है. उन्हें एक्सरे रिपोर्ट मोबाइल पर दिया जा रहा है. इसी तरह गांव के एक मरीज की पीठ पर एक्सरे किया गया.

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फोन पर दी गई रिपोर्ट

एक्सरे के बाद उसे रिपोर्ट मोबाइल पर भेजी गई... और कहा कि डॉक्टर से मोबाइल पर देखने के लिए कह दें. जबकि मोबाइल पर एक्सरे दिखना अलग होता है और फिल्म पर एक्सरे दिखना अलग... यही नहीं, अपने बेटे के हाथ में फ्रेक्चर को दिखाने आये पिता के साथ भी यही हुआ. उन्हें भी मोबाइल पर एक्सरे दिया गया. अब उनका कहना है मोबइल पर कुछ समझ नही आ रहा है. मैंने ओरिजनल मांगा तो एंड्रॉइड मोबाइल लेकर आने को कहा गया.

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क्या बोले जिम्मेदार ?

लाचार पिता का कहना है कि जिनके पास मोबाइल नहीं है वह क्या करेंगे? जबकि सरकार इसका पैसा दे रही है. ज़िम्मेदारों का तर्क है कि डिजिटल युग है तो डिजिटाइज़ एक्सरे होते है. इसलिए हम इसे मोबाइल पर भेज देते हैं. मरीज इसे किसी भी डॉक्टर को दिखा सकते है. हमने यह व्यवस्था गई है... और जहां तक कोर्ट का सवाल है तो उन्हें फिल्म दे दी जाती है और सभी को फिल्म दिया जाना संभव नहीं है क्योंकि इसमें खर्च ज़्यादा आता है.

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