बचा लो पेड़ नहीं तो नहीं बचेगा 'कुछ' , पढ़िए MP के पृथ्वी सेना की कहानी | World Environment Day

World Environment Day : जंगल सिमट रहे हैं. ऐसे में जीव जंतुओं की संख्या भी कम होने लगी है. इसके साथ ही जलस्तर भी काफी गिरता जा रहा है और गर्मी का प्रकोप तो जगजाहिर है.

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बचा लो पेड़ नहीं तो नहीं बचेगा 'कुछ' , पढ़िए MP के पृथ्वी सेना की कहानी | World Environment Day

World Environment Day : पर्यावरण को बचाना बेहद ज़रूरी है और ये सिर्फ कहने-सुनाने की बात नहीं है बल्कि इसे समझना और इसके लिए कोशिश करनी भी जरुरी है. मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में चांदपुर गांव के युवाओं व बच्चों ने मिलकर एक टीम बनाई है जिसे पृथ्वी सेना का नाम दिया गया है. पृथ्वी सेना ने गाँव को हरा भरा रखने का बीड़ा उठाया है. दरअसल, जंगल और जीव जंतु हमारे ईको सिस्टम का हिस्सा हैं. ऐसे में इनको बचाना बेहद अहम माना जाता है. मानव जीवन के लिए इनका होना बेहद जरुरी है लेकिन आधुनिकता के इस दौर में ईको सिस्टम को काफी नुकसान हो रहा है.

जंगल सिमट रहे हैं. ऐसे में जीव जंतुओं की संख्या भी कम होने लगी है. इसके साथ ही जलस्तर भी काफी गिरता जा रहा है और गर्मी का प्रकोप तो जगजाहिर है... लेकिन डिंडौरी जिले में चांदपुर गांव के युवा पर्यावरण के महत्व को समझते हैं और यही वजह है कि इन लोगों ने मिलकर एक सराहनीय कदम उठाते हुए एक सेना बनाई है जिसका नाम है पृथ्वी सेना...

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पेड़-पौधे को बचाने में जुटे युवा

साफ़ हवा और पर्यावरण के लिए अनोखी पहल

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके अपर पर पृथ्वी सेना की तरफ पौधारोपण कर ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने का काम किया जा रहा है. दरअसल, चांदपुर के आसपास के ग्रामों में जलसंकट के डरावने हालात को देखते हुए गांव के युवाओं ने पर्यावरण की सुरक्षा और इसको बचाने के लिए पांच साल पहले एक टीम बनाई जिसे पृथ्वी सेना का नाम दिया. पृथ्वी सेना ने पहले साल में ही सैंकड़ों पौधे लगाए थे जो अब पेड़ बनकर लहलहा रहे हैं.

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बच्चों और युवाओं ने मिलकर बनाई पृथ्वी सेना

पृथ्वी सेना में गांव के ही करीब 25 युवा समेत छोटे छोटे स्कूली बच्चे भी शामिल हैं. ये सभी न सिर्फ पौधे लगाते हैं बल्कि पौधों की सुरक्षा के लिए फटे पुराने कपड़ों एवं लकड़ियों को इकट्ठा कर जुगाड़ से ट्री गार्ड तैयार कर सिंचाई आदि का भी ध्यान रखते है. ख़ास बात यह है कि पृथ्वी सेना की तरफ से ज्यादा से ज्यादा पीपल व बरगद के पौधे लगाए जाते हैं क्योंकि गांव के इलाकों में पीपल व बरगद के पेड़ को देवतुल्य माना जाता है. लिहाजा उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

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पेड़-पौधे को बचाने में जुटे युवा

बिना मदद के जारी है पृथ्वी सेना का अभियान

इसके साथ ही  पीपल व बरगद में ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है जिसको ध्यान में रखकर भी पीपल व बरगद के ही पौधे लगाए जाते हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि सरकारी मदद लिए बिना आपस में चंदा जुटाकर पृथ्वी सेना का अभियान निरंतर जारी है. पौधे लगाने के अलावा जंगलों की सुरक्षा करने में भी पृथ्वी सेना खास भूमिका निभाती है. पृथ्वी सेना की तरफ से  पौधा रोपण कर करके गांव को हरा भरा कर दिया जिससे उन्हें शुद्ध हवा मिल ही रही है.

पृथ्वी सेना की पहल के बाद बढ़ा गांव का जलस्तर

पर्यावरण संरक्षण को लेकर इस गांव के छोटे छोटे बच्चे व बुजुर्ग कितने उत्साह के साथ काम करते हैं जिसका अंदाजा इन तस्वीरों को देखकर बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. महज 4 साल की उम्र में निकित कुमार भी पृथ्वी सेना के मेंबर हैं जो इतनी छोटी सी उम्र में पौधों में पानी डालने की ड्यूटी बड़ी शिद्दत के साथ निभाते हैं. चांदपुर गांव में पृथ्वी सेना के कामों से प्रभावित होकर आसपास के गांवों में भी लोग पर्यावरण को लेकर सजग हो रहे हैं. साथ ही जलस्तर में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रहा है. जो नदी नाले एवं जलस्रोत गर्मी आते ही सूख जाते थे आज उनमें पर्याप्त पानी रहने लगा है.

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