International Women's Day 2024: 8 मार्च का दिन दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के रूप में मनाया जाता है. ये खास दिन दुनिया भर की महिलाओं के अधिकारों और उपलब्धियों के सम्मान के रूप में याद किया जाता है. आज महिला दिवस (Women's Day) के मौके पर NDTV आपके लिए महिलाओं से जुड़ी कुछ खास कहानियां लेकर आया है. तो चलिए यहां पर हम ग्वालियर की एक कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, जहां महिलाओं के लिए कुछ करने का ऐसा जुनून देखने काे मिला कि एक महिला ने ऐसी बैंक (Bank) शुरु कर दी जहां चपरासी से लेकर अफसर तक सब महिलाएं हैं. उसके बाद अब महिलाओं के लिए वीरांगना कैब (CAB) भी शुरु करवा दी है.
कौन हैं वे महिला?
ग्वालियर की एक सामान्य महिला ने ऐसा कर दिखाया है. उन्होंने न केवल नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment) का अनूठा उदाहरण पेश किया है बल्कि यह भी दर्शाया है कि अगर बुलंद इरादे हों तो आसमान में सुराग भी किया जा सकता है. जिस महिला ने महिलाओं के लिए एक बैंक (Women's Bank) खोली है, वे हैं ग्वालियर की अलका श्रीवास्तव. इनकी कहानी सुनकर हर कोई रोमांचित हो उठता है.
1997 में की थी लक्ष्मीबाई महिला नागरिक सहकारी बैंक की स्थापना
अलका श्रीवास्तव ने 1997 में लक्ष्मीबाई महिला नागरिक सहकारी बैंक (Laxmibai Mahila Citizen Cooperative Bank) की स्थापना की थी. तब उन्होंने तय किया कि इस बैंक में सारे कर्मचारी महिलाएं हों. संभवत यह प्रदेश का इकलौता बैंक है, जिसमें मैनेजर से लेकर सुरक्षाकर्मी तक महिला ही हैं.
मजाक को बनाया मजाक
काफी मेहनत, होमवर्क और लाल फीताशाही से संघर्ष के बाद आखिरकार अल्का श्रीवास्तव ग्वालियर में महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम करने के लिए प्रदेश के पहले महिला बैंक के रूप में वे बैंक स्थापित कर पायीं. तब कुछ लोगों ने मजाक भी उड़ाया कि बैंक का संचालन गुड्डा गुड़ियों का खेल नहीं है. लेकिन उन्होंने और उनकी टीम की इच्छाशक्ति ने उस मजाक को मजाक बनाते हुए बड़ी उपलब्धि हासिल की, क्योंकि आज यह बैंक दो दशक से भी कार्य कर रहा है. इसका टर्नओवर अब करोड़ों में है और अब इसका विस्तार भी शुरू हो चुका है. शहर के अलावा इस बैंक की एक शाखा डबरा कस्बे में भी शुरू हो चुकी है.
अब वीरांगना एक्सप्रेस के जरिए महिलाओं द्वारा महिलाओं का ट्रांसपोर्ट
अलका श्रीवास्तव बताती हैं कि इसके बाद एक और विचार उनमें आया कि टैक्सी में पुरूष ड्राइवर के रहते महिलाएं अपने आपको सहज और सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. दिल्ली सहित अनेक शहरों में हुई घटनाओं ने महिलाओं के मन में और भी भय पैदा कर दिया है.
वीरांगना स्व सहायता समूह के रूप में संचालित इस सेवा को 10 कैब से शुरू किया गया था और करीब तीन साल बाद लगभग डेढ़ दर्जन कैब से महिलाओं के परिवारों को रोजी-रोटी देने के साथ ही उनको आत्मनिर्भर भी बनाया जा रहा है. आज ग्वालियर शहर की सड़कों पर वीरांगना एक्सप्रेस फर्राटे भरते नजर आती हैं. इसमें यात्री से लेकर चालक तक सिर्फ महिलाएं ही होती हैं.
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