जमीन पर कब्जा छुड़ाने को सड़क पर लोटते हुए जनसुनवाई में पहुंची महिला, रोते-बिलखते लगाई नीमच कलेक्टर से गुहार

नीमच जिले में एक विधवा महिला गुड्डीबाई को अपनी पट्टे की जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ न्याय पाने के लिए जनसुनवाई में लोटन प्रदर्शन करना पड़ा. महिला का आरोप है कि जमुनियाकलां निवासी जितेंद्र मेघवाल उसकी जमीन पर जबरन निर्माण करा रहा है और उसे धमकियां दी जा रही हैं.

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MP News in Hindi: नीमच जिले में एक विधवा महिला को अपनी ही पट्टे की जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ न्याय पाने के लिए आखिरकार जनसुनवाई में लोटन प्रदर्शन करना पड़ा. कलेक्टर कार्यालय में मंगलवार को आयोजित जनसुनवाई के दौरान महिला की दर्दनाक गुहार ने पूरे सिस्टम की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए.

धामनिया गांव की रहने वाली विधवा महिला गुड्डीबाई पति स्व. मदनलाल रोती-बिलखती हुई जनसुनवाई में पहुंची और अपनी जमीन पर हो रहे कथित अवैध कब्जे को लेकर न्याय की मांग की. महिला के सड़क पर लोटते देख मौके पर मौजूद नायब तहसीलदार ने उसे समझाया और कलेक्टर के समक्ष उसकी पूरी पीड़ा रखी.

ये है पूरा मामला

पीड़िता गुड्डीबाई ने बताया कि भूखंड क्रमांक 292 शासन की योजना के तहत उसके ससुर स्व. गोपी पिता भेरा बावरी को पट्टे पर दिया गया था. वर्तमान में वही भूमि उसके अधिकार में है. आरोप है कि जमुनियाकलां निवासी जितेंद्र पिता रामप्रसाद मेघवाल द्वारा दबंगई करते हुए उस पट्टे की भूमि पर जबरन निर्माण कराया जा रहा है. विरोध करने पर महिला को धमकियां भी दी जा रही हैं.

चार बार शिकायत, फिर भी नहीं मिला न्याय

गुड्डीबाई ने बताया कि वह अब तक चार बार संबंधित विभागों और अधिकारियों को शिकायत दे चुकी है, लेकिन हर बार उसकी बात अनसुनी कर दी गई. बार-बार निराकरण न होने से हताश होकर उसे जनसुनवाई में लोटन प्रदर्शन जैसा कदम उठाना पड़ा.

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कलेक्टर का तुरंत एक्शन

मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने तत्काल तहसीलदार को जांच के आदेश दिए. कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि जांच में शासन द्वारा प्रदत्त पट्टे की भूमि पर अवैध कब्जा या निर्माण पाया जाता है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी. साथ ही जांच रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

अधिकारियों की भूमिका पर सवाल

इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं. बड़ा सवाल यह है कि जब पीड़िता पहले ही कई बार शिकायत कर चुकी थी तो समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यदि प्रारंभिक स्तर पर ही गंभीरता दिखाई जाती तो महिला को इस तरह सार्वजनिक रूप से अपमानजनक प्रदर्शन करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती.

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लापरवाह अफसरों पर भी हो कार्रवाई की मांग

स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इस मामले में केवल अवैध कब्जा करने वालों पर ही नहीं, बल्कि शिकायतों को नजरअंदाज करने वाले लापरवाह अधिकारियों पर भी कार्रवाई होना चाहिए. आखिर प्रशासन आम नागरिक की पीड़ा तभी क्यों सुनता है, जब वह मजबूर होकर असामान्य तरीके से विरोध करता है.