45 साल पुरानी 150 फीट चिमनी को बारूद से क्यों उड़ाया गया? चंद सेकेंड में ढह गई

उज्जैन में 45 साल पुरानी और जर्जर 150 फीट ऊंची चिमनी को नगर निगम ने 22 किलो बारूद से सुरक्षित तरीके से ध्वस्त कराया. यह कार्रवाई सड़क सुरक्षा और यातायात बाधा को देखते हुए की गई.

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मध्यप्रदेश के उज्जैन में पहली बार किसी पुरानी चिमनी को विस्फोटक तकनीक से ध्वस्त किया गया. लोटी स्कूल के पास स्थित करीब 45 साल पुरानी और लगभग 150 फीट ऊंची फ्लोर मिल की चिमनी को शनिवार को चंद सेकेंड में गिरा दिया गया. इस कार्रवाई में 22 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया.

दरअसल, लोकमान्य तिलक स्कूल के पास करीब 45 साल पहले फ्लोर मिल संचालित होती थी, जिसके लिए 36 फीट चौड़ी और 150 फीट ऊंची चिमनी बनाई गई थी. साल 2016 में उद्योग हटने के बाद यहां सड़क बना दी गई, लेकिन जर्जर हो चुकी चिमनी बीच सड़क में खड़ी रहकर यातायात और सुरक्षा के लिए खतरा बन गई थी. इसी वजह से नगर निगम ने इसे हटाने का फैसला लिया. 

ऐसे चंद सेकेंड में ध्वस्त हुई चिमनी

देश के जाने-माने विस्फोटक विशेषज्ञ शरद सरवटे ने बताया कि सुबह करीब 8 बजे ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई. 8 सदस्यीय टीम ने पहले जेसीबी की मदद से चिमनी के निचले हिस्से का लगभग दो-तिहाई भाग हटाया, ताकि विस्फोट के दौरान संतुलन पूरी तरह नियंत्रित रहे.

इसके बाद ड्रिल मशीन से 150 से अधिक होल किए गए और उनमें कुल 22 किलोग्राम बारूद भरा गया. ब्लास्ट इस तरह से डिजाइन किया गया कि चिमनी का पूरा मलबा आसपास के क्षेत्र में न फैलकर केवल निर्धारित मैदान में ही गिरे.

पहले भी उज्जैन में कर चुके हैं बड़ी कार्रवाई

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नानाखेड़ा स्थित शांति पैलेस होटल को ध्वस्त करने की कार्रवाई भी शरद सरवटे की देखरेख में ही की गई थी. अवैध निर्माणों को विस्फोट के जरिए गिराने के लिए सरवटे का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. इस कार्रवाई के दौरान नगर निगम के अधीक्षण यंत्री संतोष गुप्ता, कार्यपालन यंत्री लक्ष्मण प्रसाद साहू, उपयंत्री मुकुल मेश्राम, ब्लास्टिंग एक्सपर्ट शरद सरवटे और पुलिस प्रशासन मौजूद रहा.

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