मासूमों के कंधों पर बस्ते का बोझ कब तक ? अभी भी चल रही स्कूलों की मनमानी 

MP News in Hindi: निजी स्कूलों की मनमानी के बोझ से मासूम बच्चों के कंधे और कमर झुकते जा रहे हैं. जबरन नौनिहालों के कंधों पर भारी भरकम बस्तों का बोझ डाला जा रहा है. ऐसे में उनके कंधे और कमर कमजोर हो रहे हैं.

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मासूमों के कंधों पर बस्ते का बोझ कब तक ? अभी भी चल रही स्कूलों की मनमानी 

No Bag Policy in MP : निजी स्कूलों की मनमानी के बोझ से मासूम बच्चों के कंधे और कमर झुकते जा रहे हैं. जबरन नौनिहालों के कंधों पर भारी भरकम बस्तों का बोझ डाला जा रहा है. ऐसे में उनके कंधे और कमर कमजोर हो रहे हैं. यही नहीं, इससे बच्चों की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर भी खराब असर पड़ रहा है. बच्चों का बचपन  स्कूलों की मनमानी और जिम्मेदारों की लापरवाही के बोझ तले दबता जा रहा है. गौरतलब है कि स्कूलों में बच्चों के बैग का वजन कम करने के लिए सरकार की तरफ से एक बैग पालिसी पूरे प्रदेशभर के स्कूलों में लागू की गई थी... लेकिन आज भी बच्चों के ऊपर बस्ते का बोझ कम होता दिखाई नहीं दे रहा है.

कहाँ से सहेंगे बच्चे बस्ते का बोझ

बड़ा बाजार इलाके में रहने वाले अभिभावक मोनू शर्मा कहते हैं कि उनका भतीजा निजी स्कूल में कक्षा दो में पढ़ता है और अभी से बस्ते में बहुत सी किताब और कॉपी लेकर जाता है. इसी तरह मंडी इलाके में रहने वाले जितेंद्र कुमार ने बताया कि उनकी बेटी अभी कक्षा पहली में है लेकिन बस्ते में दर्जन भर से ज्यादा कॉपी-किताब होती हैं. अभिभावकों की बात स्कूल वाले नहीं सुनते, इसलिए शिक्षा विभाग और अधिकारियों को निरीक्षण कर कार्रवाई करनी चाहिए.

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मोटी फीस वसूल रहे कई स्कूल

मंडी इलाके में रहने वाले राकेश कुमार चक्रधर ने बताया कि कलेक्टर ने स्कूलों को निर्देशित किया था, इसके बाद भी निजी विद्यालयों ने एडमिशन फॉर्म की फीस बढ़ा कर ली और मासिक फीस में भी मनमानी से बढ़ोतरी कर दी गई है. वजन को लेकर चार्ट स्कूलों में नहीं लगाया जा रहा है.

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कलेक्टर ने जारी किए थे निर्देश

गौरतलब है कि कलेक्टर के निर्देश पर जिलेभर में बैग पालिसी को फॉलो कराने के लिए कमिटी तो बना दी गई हैं. समितियों में प्रशासनिक अफसरों के साथ ही शिक्षा विभाग के बड़े अफसर शामिल हैं. नए शिक्षा सत्र शुरू हुए एक माह महीना चुका है, लेकिन कमिटी की तरफ से स्कूलों में चेकिंग नहीं की जा रही है.

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कमिटी ने आज तक नहीं की चेकिंग

स्कूलों में चेकिंग नहीं की जा रही है... और न ही निजी स्कूलों में बस्तों का वजन मापा गया है. जिससे निजी स्कूलों की मनमानी बदस्तूर जारी है. पालिसी के मुताबिक, पहली कक्षा में बच्चे के बैग का वजन 1.6 से 2.2 किलोग्राम तक होना चाहिए, लेकिन कक्षा पहली के बैग का वजन 5 किलो से भी ज़्यादा हो रहा है.

वजन चार्ट और होमवर्क भी नहीं

बैग पालिसी में स्कूलों को निर्देश दिए गए थे कि विद्यालयों में नोटिस बोर्ड पर बस्ते के वजन का चार्ट लगाना है, कक्षा दो तक के बच्चों को होमवर्क नहीं देना है. सप्ताह में एक दिन बैग विहीन दिवस मनाना था, इस दिन पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों के आयोजन के निर्देश थे.

जानिए क्या कहता है नियम ?

सरकारी आदेश के मुताबिक, सभी स्कूलों में हफ्ते में एक दिन नो बैग डे की बात कही गई थी. इसके अलावा दूसरी कक्षा तक के छात्रों को अब कोई होमवर्क नहीं दिया जाएगा. इस पॉलिसी में कक्षा एक से लेकर 10वीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए बैग के वजन की सीमा तय कर दी गई है.

बच्चों को न दें ज़्यादा प्रेशर

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव ताम्रकार कहते हैं कि क्षमता से ज़्यादा वजन उठाने के कारण बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास रुक हो सकता है. पढ़ाई को लेकर स्कूल और पेरेंट्स प्रेशर न दें. छोटी कक्षाओं के बैग में सिर्फ दो कॉपी घर आनी चाहिए. बाकी कोर्स स्कूल में ही होना चाहिए.

क्या बोले ज़िम्मेदार अधिकारी ? 

जिला शिक्षा अधिकारी संजय सिंह तोमर कहते हैं कि अलग-अलग ब्लॉकों में कमिटी बनाई गई हैं. सभी को पत्र भी भेज दिए गए हैं. शिकायत मिलने पर जांच करते हैं. स्कूलों में बैग पालिसी का पालन नहीं हो रहा है.

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