Wheat Crop : मध्य प्रदेश में गेहूं के किसान क्या सरकारी उपज केंद्रों से दूरी बना रहे हैं. वो खरीदी केंद्र कि जगह बाहर गेंहू की फसल क्यों बेच रहे हैं? क्या सरकार के द्वारा दिए जानें वाले दाम कम हैं. या फिर कोई और वजह है. कटनी जिले के सरकारी खरीदी केंद्रों में किसानों का आभाव साफ तौर पर दिख रहा है. NDTV की टीम ने इस मामले की पड़ताल की. किसानों से मिलकर उनकी बात जानने की कोशिश की.
क्या किसानों को बाजार में आसानी से मिल रहे वही दाम
दरअसल, गेहूं का समर्थन मूल्य 2425 रु और अतिरिक्त बोनस 175 रु कुल 2600 रु प्रति क्विंटल के दाम देने की बावजूद किसानों का रुख उपार्जन केंद्रों की तरफ नहीं हो रहा है. कारण बाजार में उन्हें आसानी से यही दाम मिल जा रहा है. वह भी नगद में, यही वजह है कि खरीदी केंदों में एक दो किसान ही अपनी उपज लेकर पहुंच रहे है.
'मार्केट में रेट अच्छा मिल जाता है'
किसान मुहम्मद सलीम ने NDTV को बताया कि वह 100 क्विंटल गेहूं लेकर आए हैं. मार्केट में रेट अच्छा मिल जाता है. वह भी नगद में, यहां पर गेहूं लाने में भाड़ा मिलाकर उतना ही पड़ जाता है. इसलिए ज्यादातर किसान उपार्जन केंद्र में नहीं आ रहे हैं. वहीं, उपार्जन केंद्र प्रभारी कल्याण पटेल ने बताया कि उनके केंद्र में करीब 900 किसानों ने पंजीयन कराया है.लेकिन यहां अभी करीब 40 किसान ही पहुंचे हैं.
ये है एक बड़ी वजह
30 से 35 किसान यहां अपनी उपज लेकर पहुंचे है.अबतक 500 क्विंटल की खरीदी की गई है. किसानों का उपार्जन केंद्रों में रुझान कम होने की वजह मार्केट में अधिक रेट मिलना मुख्य कारण है, जिन्हें नकद रु मिल जाता है, ऐसे किसान जिनके यहां शादी विवाह है, जिन्हें तुरंत पैसों की जरूरत है वह बाजार में बेंच रहे है, यदि किसान यहां अपनी उपज लेकर आता है तो दो दिन में उनकी तुलाई हो जाती है और 7-8 दिन में आ जाती है.
किसान अजय पटेल ने बताया कि वह बड़खेरा से 40 क्विंटल गेहूं लेकर आए हैं. उनकी उपज की आज ही तुलाई हो जाएगी. क्योंकि यहां भीड़ नहीं है, उन्हें 2600 रु कीमत मिलेगा. वहीं, बाजार में 2400 से 2500 रु प्रति क्विंटल गेहूं बिक रही है.
ये भी पढ़ें- Chhattisgarh NAN Scam: CBI ने अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और सतीश चंद्र के खिलाफ दर्ज की FIR