Gems News : मध्य प्रदेश की इस टेकरी में होती है रत्नों की बरसात !  'मजार से टपकते हैं मनके', रोचक है कहानी

MP News : मध्य प्रदेश के बालाघाट से एक अनोखी कहानी है. यहां बनी एक चर्चित टेकरी से मनके( रत्नों) की बरसात होती है. बता दें, वैनगंगा नदी के किनारे पर कलंदर बाबा मेहर अली शाह दरगाह है. इसे मनका टेकरी के नाम से जाना जाता है.

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संकेतिक फोटो.

MP News in Hindi : मध्य प्रदेश के बालाघाट में कई धार्मिक स्थल और पर्यटक स्थल हैं. इनसे कई किस्से और कहानियां जुड़ी हैं, जिसे सुनकर लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही कहानी के बारे में बताएंगे, जिससे आप भी हैरत में पड़ जाएंगे. दरअसल, बालाघाट के पास एक जगह है, जिसे मनका टेकरी के नाम से जाना जाता है. दरअसल, ऐसी मान्यता है कि यहां पर मनको (रत्नों) की बरसात होती है. आखिर क्या है रत्नों कि बरसात की ये पूरी कहानी...

यहां होती है मनको की बरसात

वैनगंगा नदी के किनारे पर कलंदर बाबा मेहर अली शाह दरगाह है. इसे मनका टेकरी के नाम से जाना जाता है. इसमें आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि इसमें खास किस्म के मनके यानी रत्नों की बरसात होती है. ऐसे में इस जगह का नाम मनका टेकरी पड़ा. वहीं, यहां कलंदर बाबा मेहर अली शाह मन की बातों को भी जान लेते हैं. और मुरादे पूरी होती है.

चौथे आसमान से गिरते हैं मनके

यहां के सेवादार नरेंद्र तिवारी ने बताया कि सैंकड़ों सालों से यहां पर मनके गिर रहे है. यह आसमानी सुल्तानी काम है. चौथे आसमान में एक मजार है, जो इन मनके से बनी हुई है. ऐसे में ये मजार से मनके टपकते है, जो सीधे मनका टेकरी में गिरते हैं. ये मनके वैनगंगा नदी से लेकर मजार के आसपास मनके मिलते हैं. ये मनके प्राकृतिक हैं और पहले से तराशे हुए हैं. वहीं, ये भाग्यशाली लोगों को ही मिलते है.

भाग्यशाली लोगों को मिलते हैं मनके

मोहम्मद जफर खान ने बताया कि बहुत से लोगों को मनके मिलते हैं. वहीं, मनके कई बार ढूंढने पर भी नहीं मिलते और कभी अचानक ही मिल जाते हैं. इसके अलावा इन मनकों में छेंद भी होता है. ये मनके हर तरह की धातु में मिलते हैं. वहीं, इसे जब अदब से नहीं रखते हैं, तो खुद ही गायब हो जाते हैं.

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हर साल होता है, उर्स

बालाघाट की मनका टेकरी में हर साल 16 अप्रैल को उर्स का आयोजन होता है. ऐसे में दरगाह शरीफ में उर्स मुबारक के खास मौके पर सिर्फ बालाघाट के ही नहीं दूसरे जिलों और राज्यों से भी लोग आते हैं. यहां पर रात में कव्वाली और लंगर-ए-आम का आयोजन होता है.

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