Madhya Pradesh News: किसी ने क्या खूब लिखा- प्यास लगी थी गजब की… मगर पानी मे जहर था… पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते. किसी शायर द्वारा लिखी यह शायरी मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के एक गांव के लोगों पर सटीक बैठती है. इस गांव के लोग आज भी अपनी प्यास बुझाने के लिए जद्दोजहद करते हैं. मीलों सफर तय कर गड्ढे का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. यह जानते हुए भी कि यह पानी पीने से कई तरह बीमारियां हो सकती हैं, लेकिन क्या करें? उनकी भी एक मजबूरी है,नही पिएंगे तो भी मर जाएंगे और पिएंगे तो भी बीमारियों से ग्रसित होकर मर सकते हैं. दोनों परिस्थितियों में मरना ही है.
यह कहानी मध्यप्रदेश के उर्जाधानी सिंगरौली जिले के गोभा ग्राम पंचायत क्षेत्र की है, जहां के सैकड़ों ग्रामीण पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. ग्रामीण काफी मीलों का सफर कर दो गड्ढों के पास पहुंचते हैं, जहां पानी भरा हुआ है. महिलाएं, पुरुष और बच्चे बारी-बारी से बाल्टी के जरिए पीने के लिए पानी निकालते हैं.
बहुत गंदा है पानी
पीने के साथ इस पानी का इस्तेमाल वो घर के हर काम के लिए करते हैं. पानी इतना गंदा है कि जिसे जानवर भी पीना पसंद न करें, लेकिन आदिवासी इसे पीने को मजबूर हैं.
प्रशासन से कर चुके हैं कई बार शिकायत
इस आदिवासी जनजाति समुदाय के लोगों का कहना है कि पानी के बिना जिंदा नहीं रहा जा सकता. पंचायत से लेकर डीएम तक से पानी की मांग की गई, लेकिन पानी तो छोड़िए किसी ने ढंग से समस्या तक नहीं सुनी. लोग गंदा पानी पीने की वजह से बीमार हो रहे हैं. बावजूद इसके कोई सुनने वाला नहीं है.
हर घर जल योजना के तहत चल रहा काम
वैसे तो पानी की समस्या को दूर करने के लिए युद्ध स्तर पर काम शुरू किया गया. 'हर घर जल योजना' का काम जोरशोर से चल रहा है. प्रशासन का दावा है कि अगले कुछ महीनों में गांव के लोगों को पानी मिलना शुरू हो जाएगा. बताया जा रहा है कि गांव के कुछ इलाकों में सरकारी पाइपलाइन तो बिछ गई है, लेकिन वहां भी पानी की एक बूंद तक नहीं आई है.
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क्या बोले कलेक्टर
सिंगरौली के कलेक्टर चन्द्र शेखर शुक्ला ने बताया कि पानी की किल्लत को दूर करने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. दो तीन माह में पानी की किल्लत को दूर कर दिया जाएगा. जलजीवन मिशन के तहत सभी को शुद्ध पानी मिलेगा. कुएं, तालाब की समस्या भी खत्म हो जाएगी. गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल उनके दरवाजे पर टोंटी पहुंचाया जाएगा.