Water Crisis: पानी की ऐसी समस्या कि नदी-नाले से प्यास बुझाने को मजबूर हैं ग्रामीण, 'बूंद-बूंद' के लिए करना पड़ता है मिलों सफर

MP Water Crisis: उर्जाधानी सिंगरौली जिले के ग्रामीण गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हैं. यहां के लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए मिलों का सफर तय करना पड़ता है, वो भी गंदे पानी के लिए. आइए आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

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सिंगरौली में ग्रामीणों को पीना पड़ता है गंदा पानी

Water Crisis in Singrauli: मीलों की दूरी पर प्यास का ठिकाना है, प्यास बुझाने का ये चलन कुछ सालों का नहीं बल्कि दशकों पुराना है... कुछ इसी तरह का हाल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की उर्जाधानी सिंगरौली (Singerauli) जिले का है, जहां के कई गांव के ग्रामीण आज भी अपनी प्यास बुझाने के लिए मिलों का सफर तय करके नदी-नाले के पानी पीने के लिए मजबूर है. वैसे तो केंद्र सरकार (Central Government) की बेहद महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) की शुरुआत 15 अगस्त 2019 को शुरू हुई थी. लेकिन, मार्च 2025 तक भी गांव में बसने वाले लोगों को नल का जल नसीब नहीं हो पाया... ऐसा नहीं है कि अधिकारियों को इस मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन बावजूद इसके आदिवासियों के हालातों का किसी को सरोकार नहीं हैं.

ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए करना पड़ता है मीलों का सफर

क्या है पूरा मामला?

सिंगरौली जिले में प्रदेश सरकार को इंदौर के बाद दूसरे नंबर पर सबसे अधिक राजस्व मिलता है. लेकिन, इसके बावजूद भी यह क्षेत्र आज भी बदहाल है. जिले का गोभा, जालपानी और नादों गांव जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित हैं. यहां पहुंचते-पहुंचते नल-जल योजना का प्रभाव खत्म हो जाता है. कुछ स्थानों पर पाइप बिछाए गए हैं, लेकिन पानी तो छोड़िए, उनमें से हवा भी नहीं निकलती है.

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दूषित पानी पीते हैं ग्रामीण

NDTV टीम जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर का सफर तय कर जालपानी गांव में पहुंची, तो आदिवासी समुदाय के ग्रामीण नारायण बताते हैं कि इस गांव में ज्यादातर आदिवासी समुदाय के लोग रहते है. गांव के लोग मिलों दूर नदी के पानी से अपने रोजमर्रा के काम करते है, दूषित पानी पीते हैं. इससे लोग बीमार भी हो रहें हैं, लेकिन करें तो करें क्या...

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नदी का गंदा पानी पीते हैं ग्रामीणों

गड्ढे खोदकर पानी निकालते हैं गोभा के ग्रामीण

NDTV की टीम जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित गोभा गांव पहुंची. वैसे तो इस गांव में नल जल योजना की पाइप लाइन बिछ गई है, लेकिन नल का जल कब पहुंचेगा, किसी को कोई पता हैं... गांव के आदिवासी समुदाय के लोग बताते हैं कि इस इलाके में करीब 400 लोग रहते हैं. इस इलाके में हैंडपंप भी नहीं है. मजबूरन, नाले के पास गड्ढा खोदकर पानी निकालते हैं और उसी से अपनी प्यास बुझाते हैं. यहां भी पानी के लिए लोगों को मिलों का सफर तय करना होता है.

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जल निगम के महाप्रबंधक ने कही ये बात

मध्य प्रदेश जल निगम के सिंगरौली महाप्रबंधक पंकज बाधवानी ने बताया कि जिले के बैढन में 78%, देवसर ब्लॉक में 66%, तो वहीं, चितरंगी ब्लॉक में 77% नल जल योजना के तहत काम पूरा हो चुका है. दिसंबर 2025 तक इस योजना के तहत काम पूरा कर लिया जाएगा. जिले के बैढन ब्लॉक में 8500, देवसर में 10,000 और चितरंगी ब्लॉक में 2500 कनेक्शन भी कराए जा चुके हैं.

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