अनूठी परंपरा! इस गांव में वीरता परखने के लिए मारे जाते हैं कोड़े, बकरों को हवा में घुमाने की भी होती है रस्म

MP News: मध्य प्रदेश के रायसेन में होली के मौके पर कोड़े मारे जाने और बकरों को हवा में घुमाने की एक अनूठी परंपरा है. इसके पीछे कई मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में... 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Madhya Pradesh News: होली का त्यौहार पूरे देश में अपने-अपने तरीके से मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के वनगवा गांव में इसे बेहद अनोखे और साहसिक तरीके से मनाया जाता है. यह परंपरा "वीर बम बोले" के नाम से जानी जाती है और इसे निभाने के पीछे वीरता और साहस की परीक्षा की मान्यता है.

100 साल पुरानी परंपरा की शुरुआत

वनगवा गांव में यह परंपरा लगभग सौ साल पहले शुरू हुई थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह उनके पूर्वजों की परंपरा रही है, जिसे आज भी वे निभाते आ रहे हैं. इस मौके पर गांव में एक विशाल पूजा का आयोजन किया जाता है जिसमें आसपास के करीब दस गांवों के लोग इकट्ठा होते हैं.

Advertisement

25 फीट ऊंचे खंभे पर बकरे को बांधने की रस्म

गांव के बीचो-बीच एक 25 फीट ऊंचा लोहे का खंभा खड़ा किया जाता है। सबसे पहले मेघनाथ की पूजा की जाती है और फिर वीर बब्बो के जयकारे लगाए जाते हैं। इसके बाद एक बकरे को लाकर उसे खंभे के ऊपर बांधा जाता है. बकरे को हवा में ऊपर घुमाने की रस्म भी होती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग इकट्ठा होते हैं.

Advertisement

लोगों को कोड़े मारने की परंपरा

इस अनोखी परंपरा में गांव के वीरों की पहचान करने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है. खंभों से बंधी रस्सियों में लोगों को बांधा जाता है और फिर उन्हें रस्सियों से झूलाया जाता है. इसके बाद, रस्सियों से झूलने वाले लोगों को पूरी ताकत से कोड़े मारे जाते हैं. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस प्रक्रिया के माध्यम से युवाओं को वीरता और साहस का एहसास कराया जाता है. यह एक तरह की परीक्षा मानी जाती है जो उन्हें समाज और गांव की रक्षा के लिए तैयार करती है.

Advertisement
इस परंपरा में सिर्फ वनगवा गांव ही नहीं, बल्कि आसपास के करीब दस गांवों के लोग भी शामिल होते हैं. वे बताते हैं कि उनके बुजुर्ग भी इस परंपरा में हिस्सा लेते थे और अब वे लोग इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.

ये भी पढ़ें BJP महिला मोर्चा की अध्यक्ष की बेटी की दर्दनाक मौत, राजनांदगांव में पार्टी कर दोस्तों के साथ लौट रही थी दुर्ग

अनोखी परंपरा के पीछे की मान्यता

इस अनोखी परंपरा का उद्देश्य सिर्फ त्यौहार मनाना नहीं है, बल्कि युवाओं को साहस और वीरता का पाठ पढ़ाना भी है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी गांववाले इसे पूरी श्रद्धा और जोश के साथ निभाते हैं. रायसेन के वनगवा गांव की यह परंपरा न सिर्फ होली के त्योहार को अलग अंदाज में मनाने की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि लोक संस्कृति और परंपराएं समय के साथ कैसे जीवित रहती हैं.

ये भी पढ़ें TI Death: होली की ड्यूटी कर रहे टीआई की मौत, दबंग अफसरों में होती थी संजय की गिनती

ये भी पढ़ें नक्सलियों से संबंध! वन विभाग के दो अस्थायी मजदूरों पर लगा UAPA, मंडला में पुलिस ने किया था गिरफ्तार

Topics mentioned in this article